नदी घाटी की सभ्यता (River Valley Civilization Notes In Hindi)

“विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यतायें बड़ी-बड़ी नदियों की घाटियों में पनपीं। मिस्र की सभ्यता का विकास नील नदी की घाटी में, मेसोपोटामिया की सभ्यता का दजला और फरात की घाटी में, भारत की सभ्यता का सिन्धु नदी घाटी में और चीन की सभ्यता का ह्वांगहो और यांगसीक्यांग की घाटी में हुआ। -एच० जी० वेल्स

नदी घाटी की सभ्यता (River Valley Civilization)

 विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यतायें बड़ी-बड़ी नदियों की घाटियों में ही विकसित हुई। नदी घाटी की सभ्यता आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व विकसित हुआ था। प्रारम्भ में मनुष्य एकदम जंगली था और वह पशुओं के समान जीवन व्यतीत करता था। धीरे-धीरे वह सभ्यता की ओर बढ़ने लगा और उसने कला, संस्कृति तथा शिष्टाचार आदि के क्षेत्र में उन्नति करनी शुरू कर दी।

लेकिन उसकी यह उन्नति तभी सम्भव हो सकी, जबकि उसने संसार की बडी-बड़ी नदियों की घाटियों में अपने निवास स्थान स्थायी रूप से बना लिया ।

नदी घाटी की सभ्यता को “कांस्ययुगीन सभ्यता” के नाम से भी जाना जाता है।

नदी घाटी सभ्यता के विकास के कारण (Causes of the Growth of River Valley Civilization)

अब प्रश्न यह उठता है कि मनुष्य की सभ्यता का विकास नदियों की घाटियों में ही क्यों सम्भव हुआ, वास्तव में नदियों की घाटी में मानव सभ्यता के विकास के निम्नलिखित कारण थे-

1. नदियों से मनुष्य को अपनी खेती के लिए पानी उपलब्ध हुआ, वह आसानी से नदियों के पानी अपने खेतों की सिंचाई कर सकता था।

2. नदियों के पास की भूमि अधिक उपजाऊ थी, जिससे खेती का काम उसके लिए अपेक्षाकृत सरल हो गया। (उर्वर भूमि, जलोढ़ मिट्टियाँ)

3. नदियों से ही मनुष्य को अपने व अपने पशुओं के लिये पानी प्राप्त हो गया।

4. नदियों के पास मनुष्य को नरम मिट्टी मिल गई, जिससे वह अपनी झोंपडियों के लिए कच्ची ईंटे बना सकता था।

5. नदियों के पास रहते हुये वह मछलियों के अतिरिक्त पानी में रहने वाले अनेक पशु तथा पक्षियों का शिकार भी कर सकता था, और वहीं पर पानी पीने के लिए आये हुए जंगली पशुओं को अपना शिकार बन सकता था।

6. नदियों ने मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में भी बड़ी सहायता पहुँचाई ।

इन कारणों से विश्व की सर्वप्रथम प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदी घाटियों में हुआ । इन्हीं नदी घाटियों में विकसित होने वाली सभ्यताओं को नदी घाटी की सभ्यतायें कहा जाता है।

विश्व की प्रमुख नदी घाटी की सभ्यतायें (Various River Valley Civilizations of the World)

विश्व की नदी घाटी की प्रमुख सभ्यतायें निम्नलिखित हैं-
(1) नील घाटी या नील नदी की सभ्यता अथवा मिश्र की सभ्यता
(2) सिन्धु घाटी की सभ्यता
(3) दजलाफरात की घाटी की सभ्यता या मेसोपोटामिया की सभ्यता
(4) ह्वांगहो और यांगसीक्यांग घाटी की सभ्यता या चीन की सभ्यता

1. मिश्र की सभ्यता (Egyptian Civilization) अथवा नील नदी घाटी सभ्यता

मिश्र एक प्राचीन एवं महत्वपूर्ण सभ्यता थी, जो प्राचीन अफ्रीका के नील नदी तथा उसकी उपनदियों के तटों पर विकसित हुई थी। इस सभ्यता का काल 3000 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व तक था।

हेरोडोटस ने मिस्र की सभ्यता को नील नदी का वरदान कहा। मिस्र की सभ्यता की खोज का श्रेय नेपोलियन बोनापार्ट को दिया गया। इस सभ्यता की विशेषता निम्नलिखित थी।

(I). सामाजिक जीवन

इस सभ्यता में समाज धार्मिक और सामाजिक वर्गों में विभाजित था तथा धर्म एक महत्वपूर्ण अंग था। मिस्र की सभ्यता में ब्राह्मण, राजा, सामंत, व्यापारी, किसान और श्रमिक जैसे विभिन्न वर्ग थे।

(II). आर्थिक जीवन

मिस्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि या खेती करना था। यहाँ खेतों में दास लोग काम करते थे। इस समय के लोग मटर, चुकंदर, कपास, अंजीर आदि की खेती करते थे।

यहाँ समाज तीन वर्गों में बाटां हुआ था तथा महिलाओं की स्थिति भी सम्मानजनक थी और समाज भी मातृसत्तात्मक था।

ब्राह्मण वर्ग धार्मिक रीति-रिवाजों को संचालन करना
राजा देश के शासक और साम्राज्य के प्रबंधन
सामंत वर्ग राजा का समर्थन करना
व्यापारी वर्ग वाणिज्य के क्षेत्र में कार्य करना और उत्पादों का व्यापार करना
किसान वर्ग खेती के क्षेत्र में काम और खेती के उत्पादों को उत्पन्न करना

(III). धार्मिक जीवन

इस सभ्यता की धार्मिक जीवन विशेषताएं उनकी रीति-रिवाजों, उनकी धार्मिक विश्वासों और उनकी कला और वास्तुकला में स्पष्ट होता है, मिस्र की सभ्यता में प्राचीन ईंटों, मिट्टी के बर्तनों, चांदी और सोने के आभूषणों, और लिखित संस्कृति के महत्वपूर्ण आकारों के लिए जाना जाता है।

इस सभ्यता के लोग सूर्य देव, चंद्र देव, पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल जैसे प्राकृतिक देवताओं की पूजा करते थे। इन देवताओं में सूर्य देव को सबसे महान माना जाता था, जिन्हे “र”, “रा”, “होरस” एटन नाम से जाना जाता था। इनके दूसरे प्रमुख देवता नील नदी के देवता ओसरीस थे।

2. सिन्धु घाटी की सभ्यता (Indus Valley Civilization)

सिन्धु घाटी की सभ्यता को विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं के रूप में देखा जाता है, यह सभ्यता भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित सिन्धु नदी तट पर स्थापित हुई थी। इस सभ्यता का अस्तित्व लगभग 2500 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व के बीच का माना जाता है।

इस सभ्यता को सन 1921 ई में सर जॉन मार्शल के निरीक्षण में श्री दयाराम साहनी और माधोराम वत्स ने हड़प्पा तथा सन 1922 में श्री राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज किये थे।

सिन्धु घाटी की सभ्यता एक उन्नत नगरीय सभ्यता थी, जिसमें अनेक नगरों और शहरों की विकास की शुरुआत हुई थी। इस सभ्यता की विशेषताएं उनकी मोहनजोदड़ो और हड़प्पा नामक स्थलों पर पाए जाने वाले अभिलेखों और उत्खननों से पता चलती हैं।

इस सभ्यता में व्यापक व्यवस्थित शहरीकरण, वाणिज्य, गृह निर्माण, समाज के विभिन्न वर्गों की उपस्थिति, विज्ञान और कला के विकास की उल्लेखनीय शुरुआत हुई।

सिंधु घाटी स्थल (Indus Valley Sites): इसके अंतर्गत गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के क्षेत्र भी शामिल थे।

इस सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं-

(I). सामाजिक जीवन

(I) खेती और पशु पालन- सिन्धु घाटी की सभ्यता में लोग गेहूं, बाजरा, जौ, चने, दलिया, मटर, और मक्के जैसी फसलों का उत्पादन करते थे और गाय, भेड़, बकरी, हिरण, शेर, हाथी आदि जानवर को पालते थे।

(II) वस्त्र और आभूषण- सूती, रेशमी, और ऊनी वस्त्रों का प्रयोग तथा हड्डियों और पत्थरों से निर्मित आभूषण का प्रयोग करते थे।

(III) स्त्रियों की दशा: स्त्रियों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त तथा पर्दा प्रदा की व्यवस्था नहीं थी।

(II) आर्थिक जीवन

कृषि और पशुपालन के साक्ष्यप्राप्त हुए हैं, तथा उद्योग धंधे भी मिले हैं। सिंधु घाटी के लोग कपड़ा बुनना, सूत कातना, मिटटी के खिलौने व बर्तन बनाने आदि की कला से परिचित थे।

(III). धार्मिक जीवन

सिंधु घाटी के लोग पूजा पाठ में विश्वास रखते थे और भगवान की पूजा करते थे।

सिंधु सभ्यता में प्रचलित देवता
  • मातृभूमि पूजा
  • शिव पूजा
  • पशु पूजा
  • वृक्ष पूजा
  • सूर्य पूजा
  • ऋषभदेव की पूजा

3. मेसोपोटामिया की सभ्यता (Civilization Of Mesopotamia)

मेसोपोटामिया की सभ्यता का विकास दजला और फरात की नदियों के तट पर हुआ था, इन दोनों नदियों के बीच की दुरी को ही मेसोपोटामिया कहा गया।

मेसोपोटामिया, जो वर्तमान में ईराक में मौजूद है, यह एक प्राचीन सभ्यता थी जो बड़े पैमाने पर उत्तरी मध्य पूर्व में पायी जाती थी। यह सभ्यता काफी समृद्ध व विस्तृत थी, मेसोपोटामिया के लोग नदी किनारे की खेती करना, पशुपालन करना, व्यापार करना और शहरी जीवन जीते थे।

इस सभ्यता के अस्तित्व का ज्ञान सर लियोनार्ड वुली ने खुदाई के दौरान प्राप्त साक्ष्य के आधार पर किया। मेसोपोटामिया में दो मुख्य राज्य थे – सुमेर और अक्काद

इस सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं-

मेसोपोटामिया की सभ्यता ने संस्कृति के कई पहलुओं का विकास किया, जैसे कि कला, संस्कृति, धर्म, वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नयन आदि।

(I). सामाजिक जीवन

यहाँ समाज को तीन वर्ग में बांटा गया था, उच्च वर्ग (राजा और अधिकारी), माध्यम वर्ग (व्यापारीयों और किसान वर्ग) और निम्न वर्ग (दास) आदि।

ये कृषि और पशुपालन सभी का ज्ञान रखते थे।

(II). आर्थिक जीवन

मेसोपोटामिया की सभ्यता आधुनिक इराक, कुवैत, सीरिया, जॉर्डन और इरान के कुछ हिस्सों को शामिल करती थी। यहां के लोगों के आर्थिक जीवन में खेती, व्यापार और शिल्प आदि प्रमुख थे।

मेसोपोटामिया में अन्न उत्पादन एवं खेती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। यहां के लोग धान, गेहूं, जौ, और बार्ली जैसी अन्य फसलों की खेती करते थे। इन्हें आसमान से पानी पहुंचाने के लिए कनाल बनाने की विधि पता थी। इससे सूखे के समय में भी पर्याप्त जल मौजूद था।

व्यापार में मेसोपोटामिया के लोग काफी उन्नत थे, यहां ताम्बे, सोने और चांदी के साथ-साथ मनी, बार्टर और मूल्य के आधार पर अन्य वस्तुओं की व्यापार भी होता था।

(III). धार्मिक जीवन

मेसोपोटामिया में धार्मिक जीवन की शुरुआत प्राचीन समय से थी। इस समय पर लोगों ने अपनी पूजा के लिए अलग-अलग देवताओं की उपासना करना करते थे।

मेसोपोटामिया के लोगों के प्रमुख देवता शमांश (सूर्य), नन्नार (चंद्र), पृथ्वी, जल, अनु (आसमान), एनलीन (वायुदेव) आदि की उपासना करते थे, उनका मानना तथा की देवताओं के माध्यम से अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण: चाक का आविष्कार इसी सभ्यता की देन है।

4. चीन की सभ्यता (Chinese Civilization)

प्राचीन चीन की सभ्यता (Ancient China Civilization) एक प्राचीन और समृद्ध सभ्यता रही है, इस सभ्यता का उदय चीन की ह्वांगहो तथा यांगसीक्यांग नदी के तट पर हुआ। चीनी सभ्यता की विशेषताएं उनकी सोच, विज्ञान, धर्म, कला और वास्तुकला, बोली, खान-पान, रंग-ढंग और सामाजिक व्यवस्था रही है।

चीन की सभ्यता की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

(I). सामाजिक जीवन

चीन की सभ्यता में समाज में परिवार का बहुत महत्व है, जो उनकी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, इस सभ्यता में परिवारों में पिता का अधिकार होता है।

साहित्यकारों और बुद्धिजीवों के वर्ग को समाज में आदर और सम्मान से देखा जाता था, इसके बाद व्यापारी, कारीगर, किसान और दास आदि आते थे।

(II). आर्थिक जीवन

चीन की सभ्यता में आर्थिक जीवन का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस सभ्यता को महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। चीन की सभ्यता को विश्व में स्पाइस, सिल्क, कागज, चीनी मूर्तिकला, धातु उत्पादों और अन्य वस्तुओं के निर्यात के लिए जाना जाता है।

यहां के अधिकांश लोग खेती, पशुपालन और बाँस की उत्पादन जैसी आर्थिक गतिविधियों से जुड़े थे। इस सभ्यता के लोग गेंहू, मक्का, ज्वार, बाजरा,चाय आदि की कृषि करते थे, तथा कच्चा रेशम उगाने में यह क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध था।

(III). धार्मिक जीवन

चीन की सभ्यता में प्राकृतिक शक्तियों को देवी-देवता मानकर पूजते थे, शंगति इनके आराध्य देव थे जिन्हे स्वर्ग के देवता मानते थे। प्रारम्भ में चीनी लोग जादू-टोना और अंध विश्वासों में आस्था रखते थे।

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