नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (New India Literacy Program)
खबर?
हाल में सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 और 2021-22 की बजट घोषणाओं के अनुरूप प्रौढ़ शिक्षा के सभी पहलुओं को शामिल करने हेतु वर्ष 2022 2027 की अवधि के लिये ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ को मंजूरी दी है।
क्या आप जानते है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020
जुलाई 2020 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020’ (National Education Policy 2020) को मंजूरी दी गई थी। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020’ के माध्यम से भारतीय शिक्षा परिदृश्य में बड़े बदलावों का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है।
NEP, 2020 का लक्ष्य ‘भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति’ बनाना है। इसके अलावा इसमें प्रौढ़ शिक्षा और आजीवन सीखने की सिफारिशें शामिल हैं।
कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने की मंजूरी भी दी थी।
NEP, 2020 को पूर्व इसरो (ISRO) प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनी एक समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है जिसने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था।
यह स्वतंत्रता के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे में हुआ तीसरा प्रमुख सुधार है।
- पूर्व की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 में लाई गई थीं।
मुख्य बिंदु
केंद्रीय बजट 2021-22 में संसाधनों, ऑनलाइन मॉड्यूल तक पहुँच बढ़ाने की घोषणा की गई थी ताकि प्रौढ़ शिक्षा को समग्र रूप से इसमें शामिल किया जा सके।
इसके अलावा, एक प्रगतिशील कदम के रूप में यह भी निर्णय लिया गया है कि अब से ‘प्रौढ़ शिक्षा’ के स्थान पर ‘सभी के लिये शिक्षा’ शब्द का प्रयोग किया जाएगा।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में गैर-साक्षरों की कुल संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिला 16.68 करोड़) है।
वर्ष 2009-10 से 2017-18 के दौरान साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत साक्षर के रूप में प्रमाणित व्यक्तियों की 7.64 करोड़ की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में भारत में लगभग 18.12 करोड़ वयस्क अभी भी गैर-साक्षर हैं।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य न केवल आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान करना है बल्कि 21वीं सदी के नागरिकों के लिये आवश्यक अन्य घटकों को भी शामिल करना है। इन घटकों में शामिल हैं-
- महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल जिसमें वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता सहित शिशु देखभाल तथा शिक्षा एवं परिवार कल्याण शामिल हैं।
- स्थानीय रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से व्यावसायिक कौशल विकास।
- प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक स्तर की समकक्षता सहित बुनियादी शिक्षा |
सतत् शिक्षा जिसमें कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल और मनोरंजन में समग्र प्रौढ़ शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ-साथ स्थानीय शिक्षार्थियों के लिये रुचि या उपयोग के अन्य विषय, जैसे महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल पर अधिक उन्नत सामग्री आदि शामिल हैं।
अनुमानित परिव्यय
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का अनुमानित कुल परिव्यय ₹1037.90 करोड़ है, जिसमें वित्त वर्ष 2022-27 के लिये क्रमश: ₹700 करोड़ का केंद्रीय हिस्सा और ₹337.90 करोड़ का राज्यों का हिस्सा शामिल है।
कार्यान्वयन का माध्यम
योजना को ऑनलाइन मोड के माध्यम से स्वयंसेवा के माध्यम से लागू किया जाएगा।
- स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण, अभिविन्यास, कार्यशालाओं का आयोजन फेस-टू-फेस मोड के माध्यम से किया जा सकता है।
आसान पहुँच के लिये सभी सामग्री और संसाधन आसानी से सुलभ डिजिटल मोड, जैसे- टीवी, रेडियो, सेलफोन आधारित फ्री/ओपन सोर्स एप / पोर्टल आदि के माध्यम से पंजीकृत स्वयंसेवकों तक डिजिटल रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे।
लाभार्थी
यह योजना देश के सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के गैर-साक्षर व्यक्तियों को कवर करेगी।
वित्त वर्ष 2022-27 के लिये आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता का लक्ष्य राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (NCERT) और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) के सहयोग से ‘ऑनलाइन अध्यापन, शिक्षण एवं मूल्यांकन ‘प्रणाली (OTLAS )’ का उपयोग करके प्रतिवर्ष 1.00 करोड़ की दर से 5 करोड़ शिक्षार्थियों का लक्ष्य रखा गया है।
योजना की मुख्य विशेषताएँ
इस योजना के क्रियान्वयन की इकाई स्कूल होंगे।
विभिन्न आयु समूहों के लिये अलग-अलग रणनीति अपनाई जाएगी।
15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के सभी गैर-साक्षर लोगों को महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल के माध्यम से मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान की जाएगी।
योजना के व्यापक कवरेज के लिये प्रौढ़ शिक्षा प्रदान करने के लिये प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाएगा।
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश और जिला स्तर के लिये प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) UDISE पोर्टल के माध्यम से भौतिक और वित्तीय प्रगति दोनों के बीच संतुलन कायम करते हुए वार्षिक आधार पर योजना और उपलब्धियों को लागू करने के लिये राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन को दिखाएगा।