राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण और राष्ट्रीय आर्द्रभूमि समिति के बीच में अन्तर

राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण और राष्ट्रीय आर्द्रभूमि समिति के बीच में अन्तर

प्रत्येक राज्य और संघ शासित प्रदेशों में राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण (SWA) की स्थापना की जाएगी। राज्य सरकार के पास यह शक्ति होगी कि वह विभिन्न क्षेत्रों से एक-एक विशेषज्ञ को इस प्राधिकरण के लिये नामित कर सके।

  • इन नियमों के प्रकाशन की तारीख से तीन मास के भीतर राज्य या संघ राज्य क्षेत्र की सभी आर्द्रभूमियों की सूची तैयार करना।
  • इन नियमों के प्रकाशन की तारीख से छह मास के भीतर अधिसूचित की जाने वाली आर्द्रभूमियों की सूची तैयार करना। अन्य सुसंगत राज्य अधिनियमों के अधीन तैयार/अधिसूचित आर्द्रभूमियों की किसी विद्यमान सूची को संज्ञान में लेना ।
  • इन नियमों के अधीन विनियमन हेतु उनके संक्षिप्त दस्तावेजों के आधार पर अभिज्ञात आर्द्रभूमियों की संस्तुति करना।
  • इन नियमों के प्रकाशन की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर सभी आर्द्रभूमियों की व्यापक डिजिटल सूची तैयार करना और उक्त प्रयोजन से केंद्र सरकार द्वारा विकसित किये जाने वाले डेडिकेटिड वेब पोर्टल पर इसे अपलोड करना; और इस सूची को प्रत्येक दस वर्ष में अद्यतन किया जाएगा।
  • अधिसूचित आर्द्रभूमियों के भीतर विनियमित और अनुज्ञात किये जाने वाले कार्यकलापों और उनके प्रभाव क्षेत्र की विस्तृत सूची विकसित करना।
  • विभिन्न संगत विभागों और अन्य संबंधित अभिकरणों के माध्यम से युक्तियुक्त उपयोग के सिद्धांत के आधार पर एकीकृत प्रबंधन योजनाओं के क्रियान्वयन का समन्वयन करना।
  • स्वप्रेरणा से या राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा यथानिर्दिष्ट अन्य मामले पर सलाह देना।
  • प्राधिकरण की वर्ष में कम-से-कम तीन बार बैठक होगी।
  • राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा नामनिर्दिष्ट प्राधिकरण के गैर-आधिकारिक सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्ष की अवधि का होगा।
केंद्रीय सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय आर्द्रभूमि समिति का गठन करेगी। इसके निम्नलिखित मुख्य कार्य होंगे-

  • आर्द्रभूमियों के संरक्षण तथा बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग के लिये समुचित नीतियों और कार्रवाई संबंधी कार्यक्रमों के विषय में केंद्रीय सरकार को सलाह देना।
  • आर्द्रभूमियों के एकीकृत प्रबंधन के लिये बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग के सिद्धांत पर आधारित मानदंड और मार्गदर्शक सिद्धांत तैयार करना। • प्राधिकरण द्वारा इन नियमों के क्रियान्वयन की निगरानी करना ।
  • रामसर अभिसमय के अधीन अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों को अभिहित किये जाने की सिफारिश करना।
  • अधिसूचित किये जाने के लिये सीमापार आर्द्रभूमियों की सिफारिश करना।
  • रामसर स्थलों और सीमापार आर्द्रभूमियों के एकीकृत प्रबंधन की प्रगति का पुनर्विलोकन करना।
  • आर्द्रभूमियों से संबंधित मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों के समन्वय के संबंध में सलाह देना ।
  • समिति के गैर-सरकारी सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष से अनधिक का नहीं होगा
  • समिति प्रत्येक छह मास में कम-से-कम एक बार बैठक करेगी।
  • वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2010 को अधिसूचित किया था जो आर्द्रभूमियों को संरक्षण प्रदान करता है।
  • आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2010
  • इसके तहत आर्द्रभूमि को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों, जैसे- औद्योगीकरण, निर्माण, अशोधित कचरे की डॅपिंग आदि को चिह्नित किया गया और आर्द्रभूमि क्षेत्रों में इन गतिविधियों का निषेध कर दिया गया।
  • अब नए नियम इनका स्थान लेंगे।

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