सिंधु नदी तंत्र (Indus River System)
सिन्धु नदी का उद्गम स्थल तिब्बत के मानसरोवर झील या कैलाश पर्वत श्रेणी के निकट बोखर चू के की निकट एक हिमनद से होता है। यह विश्व की सबसे बड़ी नदी द्रोणियों में एक है। तिब्बत में इसे सिंगी खंबान अथवा शेर मुखी नाम से जाना जाता है।
सिन्धु नदी | |
उद्गम स्थल | बोखर चू, तिब्बत के मानसरोवर झील |
लम्बाई | 2,880 किमी |
अन्य नाम | सिंगी खंबान अथवा शेर मुखी |
लम्बाई-
सिन्धु नदी की लम्बाई 2,880 किलोमीटर है, जबकि भारत में नदी की लम्बाई 1,114 किलोमीटर है। इस नदी का क्षेत्रफल 11 लाख 65 हजार वर्ग किलोमीटर है।
लद्दाख व जास्कर श्रेणी के बीच से यह उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती हुई लद्दाख और बलूचिस्तान से होकर गुजरती है। यह पकिस्तान में चिल्लस के निकट दर्दिस्तान प्रदेश में प्रवेश करती है।
सहायक नदियाँ
सिन्धु नदी की बहुत सी सहायक नदियाँ हैं, जो हिमालय पर्वत से निकलती हैं, इनमें शयोक, जास्कर, गिलगित, हुंजा, नुबरा, शिगार, द्रास और गास्टिंग हैं।
सिन्धु नदी की कुछ महत्वपूर्ण नदियाँ पाकिस्तान के सुलेमान श्रेणी से भी निकलती हैं, जो सिंधु नदी के दाहिने तट पर मिलती हैं। इनके नाम खुर्रम, तोची, गोमल, विबोआ, और संगर हैं।
सिन्धु नदी की बड़ी सहायक नदियाँ जिन्हे पंचनद कहा जाता है, इसमें झेलम, चेनाब, रावी, व्यास और सतलज हैं, पंचनद नाम पंजाब की पाँच मुख्य नदियों के नाम से है। अंतत: सिन्धु नदी अपना जल अरब सागर में गिराती है।
1. झेलम
झेलम सिंधु नदी की महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्वी भाग में पीर पंजाल गिरपद में स्थित वेरीनाग झरने से निकलती है। यह पाकिस्तान में जल संसाधन के रूप में काफी महत्वपूर्ण है और उत्तर भारत में बाढ़ों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
2. चेनाब
चेनाब, सिन्धु की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यह नदी दो सरिताओं के मिलने से बनती है जिसका नाम चन्द्रा और भागा है। ये सरितायें हिमाचल प्रदेश में केलांग के निकट तांडी में आपस में मिलती जाती हैं और इसके आगे झेलम नाम से जानी जाती हैं।
3. रावी
रावी हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रें के पश्चिम से निकलती है और राज्य के चम्बा घाटी से बहती है। रावी नदी का उपयोग पानी की आपूर्ति और सिंचाई के लिए किया जाता है।
4. व्यास
व्यास, सिंधु की महत्वपूर्ण सहायक नदी है जो रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुण्ड से निकलती है। यह पंजाब में हरिके के पास सतलुज में जा मिलती है। व्यास नदी का नाम महाभारत काल में प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत के महानायक व्यास मुनि के नाम पर रखा गया है। व्यास नदी उत्तर भारत में सिंचाई, जल संसाधन, और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है।
5. सतलुज
सतलुज नदी तिब्बत के मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से निकलती है, जहाँ इसे लॉगचेन खंबाब के नाम से जाना जाता है। सतलुज नदी की कुल लंबाई लगभग 1,450 किलोमीटर है। भारत में प्रवेश करने से पहले यह लगभग 400 किलोमीटर तक सिन्धु नदी के समानांतर बहती हुई पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है। इस नदी पर भाखड़ा नांगल परियोजना भी मौजूद है।