गोदावरी नदी के बारे में- Godavari River In Hindi (UPSC)

गोदावरी नदी प्रणाली (Godavari River System)

नदियों का इतिहास काफी पुराना है, प्राचीन काल में सभी छोटे और बड़े नगर नदियों के किनारे ही बसे हुए थे। नदियों से उन्हें पीने और खेती के लिए पानी, मछलियां प्राप्त होती थी।

हिन्दू धर्म में नदियों को काफी पवित्र माना गया है, इन पवित्र नदियों में गोदावरी नदी भी काफी पवित्र नदी मानी गयी है, आइये आज के लेख में हम गोदावरी नदी के उद्गम, सहायक नदियाँ, नक्शा आदि को सम्पूर्ण रूप से देखेंगे।

गोदावरी नदी (Godavari River) 

गोदावरी नदी (Godavari River) भारत की एक प्रमुख नदी है, सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है। गोदावरी सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है।

नदी का नाम गोदावरी, दक्षिण गंगा
उद्गम स्थल त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र
समापन बंगाल की खाड़ी
लम्बाई 1,465 km
देश भारत
राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा
सहायक नदियां मंजीरा नदी, प्राणहिता नदी, वैनगंगा नदी, वर्धा नदी, पेनगंगा नदी
उपयोग सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, पेयजल आपूर्ति, परिवहन, मत्स्य पालन
पारिस्थितिक महत्व कई स्थानिक और लुप्तप्राय प्रजातियों सहित विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों का समर्थन करता है
सांस्कृतिक महत्व हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी मानी जाती है, जिसका उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और मिथकों में मिलता है

गोदावरी नदी भारत की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है, जो महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में त्र्यंबकेश्वर जिले से निकलती है और तेलंगाना, आंध्र प्रदेश राज्यों के माध्यम से पूर्व की ओर बहती है, और अंततः बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।

लम्बाई (Godavari River Length)

गोदावरी नदी गंगा के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है और इसकी लंबाई लगभग 1,465 किलोमीटर है।

गोदावरी की सहायक नदियाँ (Tributaries Of Godavari)

गोदावरी नदी अपने विशाल बेसिन के लिए जानी जाती है, जो लगभग 312,812 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। बेसिन में कई प्रमुख सहायक नदियाँ शामिल हैं, जिनमें प्राणहिता, इंद्रावती, सबरी और मंजीरा नदियाँ शामिल हैं। गोदावरी बेसिन कई महत्वपूर्ण शहरों का भी घर है, जिनमें नासिक, नागपुर, राजमुंदरी और भद्राचलम शामिल हैं।

गोदावरी नदी का महत्व

गोदावरी नदी बेसिन भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र है, जो भूमि के एक बड़े क्षेत्र को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है। नदी चावल, गन्ना, कपास, और विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों सहित विभिन्न फसलों का समर्थन करती है।

बांध

बेसिन कई बड़े बांधों का भी घर है, जिनमें निजाम सागर बांध, जयकवाड़ी बांध और पोलावरम बांध शामिल हैं, जो सिंचाई के लिए बिजली और पानी प्रदान करते हैं।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के अलावा, गोदावरी नदी का महत्वपूर्ण पारिस्थितिक महत्व भी है। नदी मछली की कई प्रजातियों का घर है, जिसमें सुनहरी महसीर भी शामिल है, जिसे एक स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है। नदी कछुओं और मगरमच्छों की कई प्रजातियों का भी घर है, और कई प्रवासी पक्षी सर्दियों के महीनों के दौरान नदी के बेसिन में आते हैं।

गोदावरी नदी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व के साथ भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह न केवल पानी और सिंचाई का स्रोत है बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है।

हिन्दू धर्म में मान्यता

भारत में नदी का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, जिसके साथ कई मिथक जुड़ी हुई हैं। गोदावरी को दक्कन पठार की पवित्र नदी माना जाता है और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गोदावरी को ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा की बेटी माना जाता है तथा इसे ‘दक्षिण गंगा’ के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “दक्षिण की गंगा“।

कुम्भ मेला

हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन के आलावा त्र्यंबकेश्वर (नाशिक के पास), महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के तट पर भी कुंभ मेला भी लगता है।

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