आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस / कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह गतिविधि है जिसके द्वारा मशीनों को बुद्धिमान बनाने का कार्य किया जाता है, और बुद्दिमत्ता वह गुण है जो किसी इकाई को अपने वातावरण में उचित और दूरदर्शिता के साथ कार्य करने में सक्षम बनाता है।
जब कोई मशीन या उपकरण परिस्थितियों के अनुकूल सीखकर समस्याओं को हल करता है तो यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दायरे में आता है। इसे विचार करने, नियोजन, सीखने, भाषा की प्रोसेसिंग, अवधारणा, गति, रचनात्मकता आदि का मिश्रण कहा जाता है।
AI के अनुप्रयोग (Artificial Intelligence)
AI, विश्व को, मानव बुद्धिमत्ता के समपूरक और अनुपूरक बनने के अवसर प्रदान करती है और लोगों के जीने और काम करने के तरीकों में सुधार करती है। अपने विस्तृत अनुप्रयोगों के साथ, AI और मशीन लर्निंग हमारे जीवन के लगभग सभी तकनीकी पहलुओं में मौजूद है।
मैक्रो-स्केल पर, AI और मशीन लर्निंग ने कृषि, खुदरा, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा सहित कई क्षेत्रों पर विघटनकारी प्रभाव डाला है। इसके अलावा AI या रोबोटिक्स विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
चिकित्सा के क्षेत्र में: सर्जरी जैसे कार्यों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काफी कारगर साबित हो सकती है। इससे कम समय में ज़्यादा लोगों का इलाज संभव हो सकता है।
- हाल ही में गूगल ने AI का प्रयोग करते हुए अपनी कुछ स्वास्थ्य संबंधी परियोजनाओं के माध्यम से मातृ मृत्यु दर में कमी लाने की घोषणा की है।
वेब एल्पिकेशंस में: AI के साथ क्लाउड कम्प्यूटिंग की संलग्नता, उन्नत टूलसेट को अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध कराएगी, जिससे संगठनात्मक दक्षता और उत्पादकता में सुधार होगा। इसके अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के साथ संयुक्त AI, विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
विद्युत आपूर्ति संतुलन: AI, विकेंद्रीकृत वैश्विक ऊर्जा नेटवर्क के साथ औद्योगिक सुविधाओं, कार्यालय भवनों, घरों और जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, बिजली की आपूर्ति की जटिलता के प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बेहतर शासनः AI के उपयोग से ऊर्जा मंत्रालय के अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (REMC) पूर्व में मौसम, ऊर्जा उत्पादन की स्थिति और क्षेत्र-विशेष की विद्युत आवश्यकता के वृहत आँकड़ों को संसाधित कर उन्नत अक्षय ऊर्जा पूर्वानुमान, शेड्यूलिंग और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में सक्षम होंगे।
न्यायिक प्रक्रिया में: प्रोसेस री-इंजीनियरिंग और ऑटोमेशन के माध्यम से न्याय तक पहुँच में सुधार हो सकता है साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में भी तेज़ी लाई जा सकती है और पारदर्शिता में भी वृद्धि होगी।
संबंधित मुद्दे
रोजगार के समक्ष चुनौती: वर्ष 2030 तक चीन अपने सकल घरेलु उत्पाद का लगभग 26 प्रतिशत तथा ब्रिटेन 10 प्रतिशत निवेश कृत्रिम बुद्दिमत्ता गतिविधियों और व्यापार में करेगा। इसके अलावा, वर्ष 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में AI का योगदान 15.7 खराब डॉलर का होगा। इस परिप्रेक्ष्य में भारत भी इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभाएगा इससे यह संभावना जताई जा रही है कि AI रोजगार के सामने कड़ी चुनौती प्रस्तुत करेगा ।
निजता को खतराः AI प्रणालियाँ डेटा की वृहत मात्रा के विश्लेषण के माध्यम से सीखती हैं और वे इंटरेक्शन डेटा और – फीडबैक के यूजर- निरंतर मॉडलिंग के माध्यम से अनुकूलित होती रहती हैं।
- किसी भी व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों के डेटा तक अवैध पहुँच की संभावना को ध्यान में रखते हुए यह निजता के अधिकार के लिये जोखिम की स्थिति पैदा करती है।
प्रौद्योगिकीय बेरोज़गारी: यह वह बेरोजगारी है जो नई प्रौद्योगिकियों के आने से उत्पन्न हो सकती है। AI युक्त या रोबोटिक मशीनों से रोज़गार प्रतिस्थापन बढ़ेगा तथा कुछ उद्योगों का मौलिक स्वरूप बदल जाएगा।
असंतुलित शक्ति और नियंत्रणः स्टीफन हॉकिन्स के अनुसार मनुष्य हज़ारों वर्षों के धीमे जैविक विकासक्रम का परिणाम है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता का मुकाबला नहीं कर सकता।
मनुष्य के अस्तित्व को खतराः कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से मनुष्य के अस्तित्व को ही सबसे बड़ा खतरा है यदि AI मानव बुद्धि को प्रतिस्थापित करेगा तो यह मनुष्य के साथ निष्पक्षता का प्रश्न होगा।
नैतिक मुद्देः कृत्रिम बुद्धि के ज़रिये मशीनें बिना मानवीय हस्तक्षेप के नीति-निर्माण में नैतिक फैसले लेने लगेंगी जिससे जीवन सुरक्षा, जीवन-मृत्यु, सामाजिक संबंध आदि से संबंधित फैसले प्रभावित होंगे।
भारत की स्थिति
वर्ष 2030 तक Al के 15.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
भारत का उद्देश्य आर्थिक समृद्धि, क्षेत्रीय प्रगति और समावेशी विकास के लिये AI का लाभ उठाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रणनीति सहित एक मजबूत AI पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है।
नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2035 तक, AI के पास भारत की अर्थव्यवस्था में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ने की क्षमता है।
AI की इस क्षमता को पहचानते हुए भारत की तत्कालीन सरकार ने 2018-19 के बजट में नीति आयोग को नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास का मार्गदर्शन करने के उद्देश्य से AI के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम स्थापित करने का आदेश दिया था।
इसके अलावा भारत का राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल, ‘इंडियाएआई’ भारत में AI से संबंधित विकास के लिये वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में भी लॉन्च किया गया है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- विभिन्न निर्णय लेने वाले कार्यों में बुद्धिमान प्रणालियों को तैनात करना तथा बेहतर कनेक्टिविटी सक्षम करना और उत्पादकता बढ़ाना।
- स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, कृषि, स्मार्ट शहरों, बुनियादी ढाँचे और गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में भारत की सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ इंटेलिजेंस सिस्टम का उपयोग करना।
- नई ज्ञान संरचना और इंटेलिजेंस सिस्टम के नए अनुप्रयोग विकसित करना।
निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकीय क्रांति, समृद्धि और विकास के बेहतर अवसर तो प्रदान करती है परंतु यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस प्रौद्योगिकी का सही दिशा में अनुप्रयोग और उपयोग किया जाएगा।
दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते, भारत के लिये निरंतर विकास के लिये AI की शक्ति का उपयोग करने के लिये समर्पित रूप से काम करना आवश्यक है।