Digital Banking Units (डिजिटल बैंकिंग इकाइयां)
- भारत सरकार द्वारा देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया था।
- इस महीने (अप्रैल 2022) की शुरुआत में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय बैंक संघ के एक कार्यकारी समूह की रिपोर्ट के बाद DBU के लिये दिशानिर्देशों की घोषणा की है।
डिजिटल बैंकिंग इकाइयों (DBUs) के बारे में
एक डिजिटल बैंकिंग इकाई एक विशेष नियत व्यावसायिक इकाई या हब है जो डिजिटल बैंकिंग उत्पादों एवं सेवाओं को वितरित करने के साथ-साथ मौजूदा वित्तीय उत्पादों एवं सेवाओं को किसी भी समय स्वयं-सेवा मोड में डिजिटल रूप से सेवा देने के लिये कुछ न्यूनतम डिजिटल आधारभूत संरचना के रूप में स्थापित की जाती है।
इन Digital Banking Units की स्थापना कौन करेगा?
पिछले डिजिटल बैंकिंग अनुभव वाले वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, भुगतान बैंकों और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के अलावा) को प्रत्येक मामले में RBI से अनुमति लिये बिना, टियर 1 से टियर 6 केंद्रों में DBU खोलने की अनुमति है, जब तक कि कोई शाखा केंद्र विशेष रूप से प्रतिबंधित न हो।
इन इकाइयों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ क्या हैं?
RBI के अनुसार, प्रत्येक DBU को कुछ न्यूनतम डिजिटल बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करनी चाहिये। ऐसे उत्पाद डिजिटल बैंकिंग सेगमेंट की बैलेंस शीट की देनदारियों एवं संपत्ति दोनों पक्षों पर होने चाहिये।
पारंपरिक उत्पादों के लिये डिजिटल रूप से मूल्यवर्द्धित सेवाएँ भी इस तरह योग्य होंगी।
सेवाओं में विभिन्न योजनाओं के तहत बचत बैंक खाते, चालू खाते, सावधि जमा और आवर्ती जमा खाते, ग्राहकों के लिये डिजिटल किट, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और मास ट्रांजिट सिस्टम कार्ड, व्यापारियों के लिये डिजिटल किट, यूपीआई क्यूआर कोड, BHIM Aadhaar और पॉइंट ऑफ सेल (PoS) शामिल हैं।
अन्य सेवाओं में पहचाने गए खुदरा, MSME या योजनाबद्ध ऋणों हेतु ग्राहकों के लिये आवेदन करना और उन्हें शामिल करना भी सम्मिलित है। इसमें ऐसे ऋणों का संपूर्ण डिजिटल प्रसंस्करण, ऑनलाइन आवेदन से लेकर वितरण तक और राष्ट्रीय पोर्टल के तहत कवर की गई सरकारी प्रायोजित योजनाओं की पहचान करना शामिल हो सकता है।
Digital Banking Units हेतु RBI के दिशा-निर्देश
डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स में निम्न बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध होंगी: खाता खोलना, नकद निकासी एवं जमा, KYC अपडेशन, ऋण तथा शिकायत दर्ज करना।
प्रत्येक DBU को बैंकिंग आउटलेट के रूप में माना जाएगा।
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) को प्रत्येक DBU के लिये अलग शाखा केंद्र की व्यवस्था करनी होगी। उन्हें DBU परिसर में ग्राहकों के लिये प्रवेश और निकास बिंदुओं को मूल बैंक शाखा से अलग रखना होगा।
बैंकों द्वारा DBUs की साइबर सुरक्षा के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किये जाएंगे। इसके लिये ऐसा डिजिटल तंत्र बनाना होगा जो रियल टाइम में ग्राहकों की सहायता करें। इससे DBUs के कामकाज, व्यवसाय और सेवाओं से जुड़ी ग्राहकों की शिकायतों को रियल टाइम आधार पर समाधान हो सकेगा।
ये DBU फिनटेक के साथ कैसे प्रतिस्पर्द्धा करेंगे?
वर्तमान में, नियोबैंक के रूप में काम करने वाली फिनटेक डिजिटल बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करती हैं, लेकिन वे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ साझेदारी में ऐसा करती हैं।
भारत में सेवाओं की पेशकश करने वाले कुछ नियोबैंक हैं जुपिटर (Jupiter). फाई मनी (Fi Money), नियो (Niyo), राजोरपे एक्स (Razorpay X)।
ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग सुविधाओं वाले पारंपरिक बैंकों की तुलना में, नियोबैंक या डिजिटल बैंक उत्पाद नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं और बेहतर डिजिटल समाधान प्रदान करते हैं।
Digital Banking Units का महत्त्व
- ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरऑपरेटिबिलिटी और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा ।
- डिजिटल इकॉनोमी को बढ़ावा मिलेगा।
- ये फिज़िकल फुटप्रिंट को भी कम करने में सहायक होंगे।
- बैंक की नई शाखा खोलने की तुलना में DBUs स्थापित करना सस्ता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख के माध्यम से हाल ही में वित्त मंत्री ने इस वर्ष देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (Digital Banking Units-DBUs) स्थापित करने की अपनी बजटीय घोषणा को दोहराया, यह लेख इसी सम्बन्ध में है।