इंग्लैंड की 1688 ई ० क्रान्ति को इतिहासकार ‘शानदार क्रान्ति’, ‘रक्तहीन कान्ति’, ‘महान कान्ति’ अथवा ‘गौरवपूर्ण फ्रान्ति’ के नाम से पुकारते हैं’ क्योंकि बिना खून की एक बूंद बहाये, जिना युद्ध किये, विरा विधान में कोई बड़ा परिवनंन किये इतना बड़ी प्रान्ति हो गई कि राजा और पालियामेंट (संसद) का झगड़ा समाप्त हो गया तथा राजाओं ने यह मान लिया कि पालियामेंट महान है।
इंगलैण्ड की शानदार क्रान्ति राजा ‘जेम्स द्वितीय के शासन काल में सम्पन्न हुई थी। राजा की निरंकुशता इंग्लैंड की दलीय व्यवस्था, धार्मिक समस्यायें इस क्रान्ति के प्रमुख कारण ये । इस कान्ति के समय राजा जेम्स द्वितीय इंगलैण्ड छोड़ कर भाग गया और संसद की एक रुभा बुत्तायी गई। संसद की सभा ने ‘अधिकार घोषणा पत्र’ (Bill of Rights) प्रकाशित किया, जिसे ‘राजा विसियम’ और ‘रानी ऐन’ ने 13 फरवरी 1686 ई० को स्वीकार कर लिया ।
क्रान्ति के परिणाम (Results of the Revolution)
1688 ई० की शानदार क्रान्ति इंगलैण्ड के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना की। इसके बड़े महत्वपूर्ण एवं दूरगामी परिणाम हुये ।
(I) इंगलैंड में राजा के दैवी अधिकारों का अन्त हो गया ।
(II) राजाओं ने पालियामेंट की सर्वोच्च सम्प्रभुता को स्वीकार कर लिया ।
(III) राजाओं और पालियामेंट के मध्य चले आ रहे लम्बे संघर्ष का अंत हो गया
(IV) स्वतन्त्र न्यायपालिका की स्थापना हुई।
(V) प्रेस को स्वतन्त्रता प्राप्त हो गई
(VI) अभियुक्तों को स्वयं को निरपराध सिद्ध करने के अवसर प्राप्त हो गये ।
(VII) इस क्रान्ति से इंगलैंड में प्रोटेस्ट धर्म की विजय हुई ।
(VIII) संसार में इंगलैंड के सम्मान क वृद्धि हुई ।
(X) 1689 ई० में ‘म्यूटनी एक्ट’ (Muting Act) पास किया गया।
(IX) ‘बिल आफ राइटस‘ (अधिकार घोषणा पत्र की शर्तों द्वारा राजा के अधिका सीमित कर दिये गये और संसद की शक्तियों में वृद्धि कर दी गयी।
(XI) 1694 ई० में ‘धार्मिक सहिष्णुता अधिनियम’ द्वारा लोगों को धार्मिक स्वतन्त्रता दे दी गई।
(XII) 1694 के ‘तीन वर्षीय अधिनियम’ द्वारा संसद का कार्यकाल 3 वर्ष के लिए निश्चित कर दिया गया ।
(XII) 1701 ई० के ‘उत्तराधिकार’ नियम द्वारा इंगलैंड की राजगद्दी ‘एग्लिंकन’ चर्च के अनुवासियों के लिए सुरक्षित कर दी गई।