प्राचीन भारत के प्रमुख दार्शनिक (Important Philosophors of Ancient India)
प्राचीन भारत में अनेक दार्शनिकों ने ईश्वर, आत्मा, ब्रह्म, सृष्टि आदि विषयों पर चिन्तन करके हिन्दुओं के सामाजिक और धार्मिक जीवन को नियमित किया। इन दार्शनिकों का विवरण इस प्रकार है-
(1) गौतम बुद्ध – गौतम बुद्ध कपिलवस्तु के राजा शुद्धोधन के पुत्र थे। इन्होंने छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म चलाया था, जिस पर ‘बौद्ध दर्शन’का निर्माण हुआ ।
(2) महावीर स्वामी- यह गौतम बुद्ध के समकालीन और जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। इन्होंने जैन धर्म के सिद्धान्तों का विकास करके जैर दर्शन की नींव डाली थी ।
(3) चार्वाक- चार्वाक नाम के ऋषि ने चार्वाह दर्शन का प्रतिपादन किया और यह बताया कि भौतिक सुख ही सर्वोपरि है, शेष सब कुछ गलत है।
(4) कपिल – इन्होंने साँख्य दर्शन का प्रति- पादन किया और बताया कि प्रकृति व आत्मा ही सर्वश्रेष्ठ हैं, जिनके योग से संसार का निर्माण हुआ है।
(5) पतंजलि- इन्होंने योग दर्शन की स्थापना की और कहा कि प्रकृति, आत्मा और परमात्मा से मिलने के लिये योग मार्ग को अपनाना चाहिये।
(6) गौतम ऋषि- इन्होंने न्याय दर्शन का निर्माण किया और ईश्वर की सर्वोच्च सत्ता को स्वीकार किया।
(7) कणाद- इन्होंने वैशेषिक दर्शन का निर्माण किया और बताया कि सारा संसार परमाणुत्रों हुआा है और यह कभी नहीं समाप्त हो सकता ।
(8) जैमनी- इन्होंने पूर्व मीमांस। दर्शन की नींव डाली और मोक्ष प्राप्त करने के लिये धार्मिक कर्मकाण्डों पर बल दिया।
(9) व्यास- इन्होंने उत्तर मीमांसा दर्शन की स्थापना की और बताया कि प्रकृति का अपना कोई बस्तित्व नहीं है। ईश्वर ही सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है। इसीलिये उसकी उपासना करनी चाहिये ।
(10) कुमारिल भट्ट- यह सातवीं सताब्दी में उत्पन्न हुए थे और ब्रह्मण धर्म के प्रचलं समर्थक थे। उन्होंने धार्मिक अन्धविश्वासों का खंडन कर शुद्ध वैदिक धर्म के अनुसरण पर बल दिया।
(11) शंकराचार्य- इनका जन्म केरल (दक्षिणी भारत) में 788 ई० में हुआ था। इन्होंने वैदिक अन्यों का अध्ययन कर उन पर रीकायें लिखो और अद्ध तवाद अर्थात् यह संसार मिथ्या है तथा एकमात्र बह्य हो सत्य है, का प्रतिपादन किया।
(12) रामानुजाचार्य- सन् 1016 ई० में श्रीरंगम में रामानुजाचार्य का जन्म हुआ था। उन्होंने शंकराचार्य के अद्वैतवाद का खण्डन का विशिष्टाई तवाद का प्रतिपादन किया और बताया कि भक्ति तथा अच्छे कर्मों से मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।