इस्लाम धर्म का उदय विश्व के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इस धर्म के प्रवर्तक ‘हजरत मुहम्मद’ साहिब (570-632 ई०) थे। इस धर्म की पवित्र पुस्तक ‘कुरान’ है। इस्लाम धर्म की अन्य पुस्तकें ‘सुन्नत’ और ‘हदीश’ ‘है। इस्लाम धर्म के भी दो सम्प्रदाय-शिया और सुन्नी हैं। इस्लाम धर्म की प्रमुख इसके शिलायें निम्नलिखित है-
(1) खुदा (ईश्वर) एक है और मुहम्मद उसका पैगम्बर ह।
(2) इस्लाम के मानने वालों में न कोई ऊंचा है, न कोई नीचा; न कोई बढ़ा है और न कोई छोटा । मानने वाले सब बराबर है।
(3) माता, पिता, गुरुजनों तथा फकीरों का सम्मान करना चाहिए।
(4) मूति पूजा पाप है।
(5) ब्याज लेना, जुआ खेलना, शराब पीना, सुअर का मांस खाना पाप है।
(6) रोगी, गरीब और दुस्खी व्यक्ति की सहायता करो ।
(7) अन्याय से बचकर रहो।
(8) दासों या गुलामों के माय दया पूर्ण व्यवहार करो क्योंकि वे तुम्हारी सन्तानों की तरह है। (६) अल्लाह हर व्यक्ति के भाग्य का निर्णय पहले ही लिख देता है।
(10) कयामत के दिन अच्छे कर्म करने वालों को जन्नत (स्वर्ग) तथा बुरे कर्म करने वालों को दोजख (नर्क) में भेज दिया जायेगा।
(11) अरुलाई इस्हाम (सच्चा ज्ञान) अपने पैगम्बरों को स्वयं देता है।
(12) प्रत्येक मुसलमान को निम्नलिखित छः नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये-
(i) कलमा पढना या यह कहना कि ‘अल्लाह एक’ है और हजरत मुहम्मद उसका पैगम्बर है।
(ii) दिन में पाँच बार नमाज पड़ना।
(iii) आय का चौथा भाग खैरात (दान) देना ।
(iv) रमजान के महीने में रोजा (व्रत) रखना।
(v) जीवन में कम से कम एक बार हज अर्थान मक्का की तीर्थयात्रा करना ।
(vi) आवश्यकता पड़ने पर जेहाद (धर्म युद्ध) में भाग लेना।