प्राचीन भारत की भाषा और साहित्य (Language and Literature of Ancient India)
प्राचीन भारत में पाली, संस्कृत व कुछ अन्य भाषाओं के साहित्य का प्रचुर विकास हुआ।
(1) वैदिक साहित्य- वैदिक ग्रन्थों में सबसे प्राचीन ‘वेद‘ हैं। वेदों की संख्या चार है— ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद । ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद (छान्दोग्य, बृद्दारण्यक, ऐतरेप आदि),। ‘वेदांग’ (शिक्षा, ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरुक्ति और छन्द), ‘सूत्र’ (स्रोत, सूत्र, गृह सूत्र, धर्म सूत्र बादि), महा- काव्य (रामायण और महाभारत), स्मृतियां (नारद स्मृति, मनु स्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, विष्णु स्मृति जादि), ‘पुराण’ (मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, भविष्य पुराण आदि) नदीआदि अन्य ग्रन्थ जैविक साहित्य के अन्तर्गत जाते हैं। इन ग्रन्थों से देश की राजनं तिक, सामाजिक, आायिक तथा धार्मिक दशा पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
(2) बौद्ध साहित्य- छठी शताब्दी ईसा पूर्व के बाद पाली और संस्कृत भाषा में अनेक बौद्ध प्रन्यों की रचना की गई। इन ग्रन्यों से महात्मा बुद्ध के जीवन, शिक्षाओं, सिद्धान्तों तथा उस समय की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा धानिक दशा पर काफी प्रकाश पड़ता है। बौद्ध साहित्य के अंतर्गत निम्नलिखित है।
अन्य विशेषकर से उल्लेखनीय हैं-
(i) त्रिपिटक, सुत पिटक, विनय पिटक और अभिधम्य पिटक ।
ii) जातक, इनकी संख्या 547 के लगभग है।
(iii) दिव्यावदान ।
(iv) ललित बिस्तर ।
(v) महावस्तु ।
(vi) दीप वंश ।
(vii) महावंश, मिलिन्द पन्ही (राजा मिनाण्डर से सम्बन्धित), मंजूश्री, मूलकल्प बादि ।
(3) जैन साहित्य- जैन साहित्य का प्रमुख ग्रन्थ “श्रुतुंग” है। इसके अतिरिक्त ‘भद्रबाहु’ का ‘कल्पसूत्र’ नामक ग्रन्थ ऐतिहासिक से बड़ा महत्वपूर्ण है। ‘परिशिष्ट पर्वत’ ग्रन्थ अपने समय के इतिहास की जानकारी देता है।
(4) साहित्यिक ग्रन्थ- प्राचीन भारत में अनेक साहित्यिक ग्रन्थों की रचना हुई, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं-कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’, विशाखदत्त का ‘मुद्राराक्षस’ नाटक, पांतजलि का ‘महाभाष्य’ शनि की ‘अष्टाध्यायो’, गुणाढ्य की ‘बृहत्कथा’, अश्वघोष का ‘बौद्ध चरित’, ‘सौन्दरानन्दकाव्य’ और सारिपुत्र प्रकरण’, नागार्जुन की ‘प्रज्ञा परिमिता’, वसुमित्र का ‘मविभाषा शास्त्र’, चरक को ‘चरक संहिता’, कालीदास के ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’, ‘मालविकाग्निमित्र’ व ‘विक्रमोर्वशीयम’ नाटक, ‘मेघदूत’ ‘ऋतु संहार’ ‘गीतकाथ्य’ तथा ‘रघुवंश’ और ‘कुमार सम्भव’ महान्य, विशाखत्त का ‘देवरीचन्द्रगुप्त’, दंडिन का काव्यादर्श’, शूद्रक का मृच्छकटिक’, अमर सिंह का ‘अमरकोष’, कामन्दक का ‘नीतिसार’, वात्स्यायन का ‘कामसूत्र’, दिगनाथ का प्रमाण समुच्चय’, ‘हितोपदेश’ और ‘पंचतन्त्र’, भास का ‘स्वप्नवासवदत्ता’, आर्य भट्ट का ‘आर्यभट्टीय’, वराहमिहिर की बृहत्संहिता, महाकवि वाण का ‘हवं चरित’, भवभूति का ‘उत्तर रामचरित’ मोर ‘मालती माधव’, राजशेखर की ‘कपुरमंजरी’, कल्हक्ष की ‘राजतरंगणी’, चिल्हा का विक्रमांक देव
चरित्र’, ‘माघ का शिशुपाल वध’, जयदेव का ‘गीति गोविन्द’, राजा भोज का ‘प्रमाण समुच्चय, राजसहस्त्रांक और ‘आयुर्वेद सर्वस्व’, चन्दबरदाई का ‘पृथ्वीराज रासो’, सोमदेव का ‘कथासरित्सागर’, जगनिक का ‘परमाल रासो’ आदि ।
(5) अन्य साहित्य – प्राचीन भारत के कुछ विदेशी ग्रन्थ भी लिखे गये, जिनमें मेगस्थनीज को ‘इण्डिया’, फाहान, साइसिनामचीनी यत्रियो के विवरण, लाभा तारानाथ तथा ‘अलवरुनी’, को तहकीके हिन्द आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।