मिनामाता अभिसमय (Minamata Convention)
मिनामाता कॉप (CoP) अगस्त 2017 में मिनामाता कन्वेंशन के प्रवर्तन में आने के बाद, सितंबर 2017 में अपनी पहली नवंबर 2018 में दूसरी एवं 25 से 29 नवंबर, 2019 तक जिनेवा में अपनी तीसरी बैठक आयोजित की।
पारा (Mercury)
पारा प्राकृतिक रूप से वायु, जल और मृदा में पाया जाने वाला एक तत्त्व है।
इसके संपर्क में (यहाँ तक कि थोड़ी मात्रा में आने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
यह तंत्रिका तंत्र, पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली, फेफड़ों, गुर्द, त्वचा तथा आँखों पर विषाक्त प्रभाव डाल सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मरकरी/ पारा को प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के शीर्ष 10 रसायनों या रसायनों के समूहों में से एक माना जाता है।
विश्व में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद पारे का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता देश है।
पारे के स्रोत
प्राकृतिक स्रोतः ज्वालामुखी विस्फोट और समुद्री क्षेत्र ।
मानवजनित स्रोतः ईंधन, कच्चे माल या उत्पादों, औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण उत्सर्जन।
छोटे पैमाने पर सोने का खनन ( ASGM ): यह मानवजनित पारा उत्सर्जन (37.7%) का सबसे बड़ा स्रोत है, जिसके बाद कोयले के स्थिर दहन (21%) का स्थान है।
वैश्विक स्तर पर ASGM क्षेत्र में 10-20 मिलियन लोग कार्यरत हैं और उनमें से कई दैनिक आधार पर पारे का उपयोग करते हैं।
अन्य स्रोतः ‘अलौह धातु उत्पादन’ (15%) और ‘सीमेंट उत्पादन’ (11%)1.
कुछ अन्य अभिसमय
स्टॉकहोम सम्मेलन स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों से संबंधित
बेसल अभिसमय: खतरनाक अपशिष्टों की सीमापार आवाजाही व उनके नियंत्रण से संबंधित।
वियना अभिसमय: ओजोन परत के संरक्षण से संबंधित।
- रॉटरडैम अभिसमयः अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों से संबंधित।
पारे पर मिनामाता अभिसमय
पारे पर मिनामाता कन्वेंशन मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को पारे तथा इसके यौगिकों के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिये विश्व की पहली कानूनी रूप से बाध्यकारी एक संधि है।
वर्ष 2013 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में अंतर-सरकारी वार्ता समिति के पाँचवे सत्र में इस पर सहमति प्रदान की गई थी।
अपने पूरे जीवनचक्र में पारे के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करना कन्वेंशन के प्रमुख दायित्वों में से एक है।
अभिसमय पारे के अंतरिम भंडारण तथा इसके अपशिष्ट के निपटान व दूषित स्थलों के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को भी संबोधित करता है।
अभिसमय में पारे के जीवन चक्र के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है जो उत्पादों, प्रक्रियाओं और उद्योगों की श्रृंखला में पारे को नियंत्रित व इसमें कमी करता है। इसमें निम्नलिखित पर नियंत्रण शामिल है:
- पारा खनन
- पारा और पारे से संबंधित उत्पादों का निर्माण और व्यापार
- पारायुक्त कचरे का निपटान
- उद्योगों में पारे का उत्सर्जन ।
भारत ने भी वर्ष 2014 में इस अभिसमय पर हस्ताक्षर किये थे और वर्ष 2018 इसकी पुष्टि की है।
चूँकि जापानी शहर वर्ष 1950 के दशक में मिनामाता रोग का केंद्र बन गया था इसलिये इस अभिसमय का नाम उसी शहर के नाम पर रखा गया था।
मिनामाता रोग पारे के कारण होने वाला एक तंत्रिका संबंधी रोग है।