Paris Club (पेरिस क्लब)
आज की चर्चा खबरों में रहा (Paris Club) पेरिस क्लब करेंगे। इस लेख में हम जानेंगे की Paris Club क्या है?, साथ ही अंत में इससे सम्बंधित कुछ भी देखेंगे।
खबर में क्यों?
खबर यह है की पेरिस क्लब ने श्रीलंका के ऋण पर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को वित्तीय आश्वासन देने पर सहमति जताई है।
Paris Club (पेरिस क्लब) क्या है?
पेरिस क्लब (Paris Club) ऋण देने वाले देशों का एक अनौपचारिक समूह है। जिसकी स्थापना का उद्देश्य विकासशील और उभरते देशों को ऋण की समस्या के समाधान के रूप में हुआ था। इसकी स्थापना साल 1956 में हुई थी।
- वर्ष 1956 में विकासशील और उभरते देशों की ऋण समस्याओं के समाधान के लिए की गयी थी।
- इसके परिणाम स्वरूप, 1956 फ्रांस द्वारा पेरिस में एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे पेरिस क्लब कहा गया
उद्देश्य
इस क्लब का लक्ष्य उन देशों के लिए स्थायी ऋण राहत समाधान खोजना है, जो अपने द्विपक्षीय ऋण चुकाने में असमर्थ हैं।
सदस्य देश
इसके 22 स्थायी सदस्य हैं, जिनमें अधिकांश रूप से पश्चिमी यूरोपीय देशों का समूह शामिल है। इसमें प्रमुख रूप से आस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इजराइल, यूनाइटेड किंगडम, जापान, रूस, दक्षिण कोरिया, स्विटजरलैंड और संयुक्त राज्य आदि शामिल हैं।
पेरिस क्लब के सदस्य “आर्थिक सहयोग और विकास संगठन” (OECD) के सदस्य भी हैं। आपको बता दें की भारत और चीन इसके सदस्य नहीं है। हालांकि भारत तदर्थ: भागीदार के रूप में कार्य करता है। पेरिस क्लब के सदस्य फरवरी और अगस्त के महीनो को छोड़कर, प्रत्येक महीने में एक बार पेरिस में मिलते हैं।
ऋण समझौते में भागीदारी
- पेरिस क्लब ने 102 विभिन्न देवदार (Debtor) देशों के साथ 476 समझौते किए हैं।
- 1954 के बाद से पेरिस क्लब समझौते के तहत $614 बिलियन का कर्ज चुकाया गया है।
- यह सर्व सम्मति और एक जुटता के सिद्धांत पर कार्य करता हैं।
- देनदार देश के साथ किया गया कोई भी समझौता, पेरिस क्लब के सभी ऋणदाताओं पर समाज रूप से लागू होता है
- श्रीलंका के मामले में चीन, जापान और भारत सबसे बड़े द्विपक्षीय ऋणदाता हैं
- अभी तक भारत ने 4 अरब डॉलर की आपातकालीन सहायता की है ।
- पिछले 20 सालों में चीन के दुनिया में सबसे बड़े द्विपक्षीय ऋणदाता होने के कारण इसका महत्व कम हो गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) :
यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष वित्तीय ऐजेंसी है। इसकी स्थापना 1944 के वर्ष वुड्स सम्मेलन में हुई थी।
उद्देश्य
अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को सुरक्षित करने के साथ मुद्रा विनिमय दर और अंतर्राष्ट्रीय ‘तरलता का विस्तार करना है। 44 संस्थापक देशों के साथ स्थापित हुए इस कोष में फिलहाल 190 देश शामिल हैं। इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. में स्थित है।