ईरानी सभ्यता (Persian Civilization)
प्राक्कथन— मानव सभ्यता के इतिहास में ईरान की प्राचीन सभ्यता को एक विशेष स्थान प्राप्त है। प्राचीन काल में ईरान का साम्राज्य काफी विस्तृत था। वर्तमान समय में इसके दक्षिण में फारस की खाड़ी, उत्तर में कैस्पीयन सागर तथा सर और आम नदियों हैं। यह मेसोपोटामिया या ईराक के पूर्व में स्थित एक पठारी देश है।
1. प्राचीन ईरान के निवासी (Citizens of Ancient Persia) – ईरान के मूल निवासी कौन थे ? इस विषय पर विद्वानों में बड़ा मतभेद है। कुछ विद्वानों के अनुसार यह लोग सुमेर, मिश्र तथा सिन्धु घाटी के लोगों से मिलते-जुलते थे। अधिकांश विद्वानों के अनुसार यह नाटिक आर्य जाति से थे और उसी आर्य जाति की एक शाखा ईरान में आ बसी थी।
2. ईरान का प्राचीन इतिहास (Ancient History of Persia) – ईरान में समय-समय पर आये जाति की अनेक शाखायें मेदो, फारसी, पार्थियन, वेक्टी. रियन आदि आई। प्रारम्भ में असीरियन लोगों को पराजित कर आर्यों की मेदी शाखा ने ईरान में अपने राज्य की स्थापना की। इसके अन्तर्गत सम्राट दारा प्रथम (521-485 ईसा पूर्व) तथा जैरक्सीज (485-365 ई० पू०) जैसे महान शासक हुए । 121 ई० पू० में मेसोडोनिया के सम्राट सिकन्दर ने ईरानी साम्राज्य का अन्त कर दिया। सिकन्दर की मृत्यु के बाद 331 से 100 ई० पू० तक ईरान में यूनानी शासकों और बाद में तीन शादियों तक पार्थीनियन लोगों ने शासन किया। इसके बाद ससानी वंश ने पार्थिनियतों को हराकर ईरान पर अधिकार कर लिया। इस समय ‘जरथुस्थ’ धर्म (पारसी धर्म) का काफी विकास हुआ। ‘राजा फीसस’ इस वंश का महान सम्राट था । सन् 627 ई० में ईरान में इस्लामी राज्य की स्थापना हुई। सभीफाओं ने एक लम्बे समय तक ईरान पर शासन किया। बाद में तुर्की ने इस पर अधिकार कर लिया।
3. राजनीतिक जीवन और शासन व्यवस्था (Political Life and System of Administration)- ईरानियों ने केन्द्रीय शासन की स्थापना की। ईरानी शासक निरंकुश होते हुए भी प्रजापालक ये । सम्राट धर्म के अनुसार राज्य कार्य करता था। उसे परामर्श देने के लिए सात प्रमुख लोगों (कुलों) की एक समिति होती थी। यह एक स्थायी मंत्रिमण्डल के रूप में कार्य करती थी। शासन के प्रत्येक विभाग का अध्यक्ष एक मन्त्री होता था।
ईरानी साम्राज्य 23 प्रान्तों में विभक्त था, जिसमें मिश्र, सीरिया, फिलिस्तीन, अफगानिस्तान, बिलोचिस्तान आदि प्रमुख थे। प्रान्तीय शासक ‘क्षत्रप’ कहलाते थे और सम्राट के अधीन होते थे। साम्राज्य में पकी तड़कें थीं और सड़कों के किनारे सराय, राजभवन और सैनिक चौकियां होती थी। जनहित के कार्यों की ओर विशेष ध्यान दिया जाता था।
ईरानियों का सैनिक संगठन बड़ा शक्तिशाली था। “अनिवार्य सैनिक सेवा” प्रचलित थी। ईरानियों ने स्थल व जल सेना का काफी विकास कर लिया था। सेना में भाले, तीर-कमान, खंजर, तलवार आदि शस्त्री का प्रयोग होता है ।
न्याय करना राजा का प्रमुख कर्तव्य था । प्रमुख न्यायाधीदा की सहायता के लिए सात अन्य न्यायधीश होते थे। कानून व न्याय विधि सरल थी, किन्तु अपराधियों को दिये जाते थे।
4. सामाजिक जीवन (Social life)- ईरानी समाज पाँच वर्गों उच्च वर्ग, पुरोहित वर्ग, व्यापारी वर्ग श्रमिक तथा किसान वर्ग और दास वर्ग में बंटा हुआ था। ईरानी लोग बड़े सुन्दर, व्यवहार कुशल, उदार, शिष्ट तथा सहानुभूति पूर्ण होते थे। वे झूठ बोलना और धोखा देना पाप समझते थे ।
ईशनियों का भोजन शुद्ध व सादा होता था। बाद में ईरान में शराब का प्रयोग अधिक बढ़ गया था। स्वच्छता व सफाई पर विशेष बल देते थे। उच्च वर्ग जरी के कपड़े व आभूषणों का बहुतायत से प्रयोग करता था।
ईरानी समाज में स्त्रियों की दशा अधिक अच्छी नहीं थीं। बहु विवाह व रखेल रखने की प्रथा प्रचलित थी। स्त्रियो सार्वजनिक कार्यों में भाग लेती थी और अपने पति के अत्याचारों के विरुद्ध न्यायालय में प्रार्थना कर सकती थी परन्तु पूजा की आग में आहुति देने का अधिकार उन्हें नहीं था ।
5. धार्मिक जीवन (Religious Life)- प्रारम्भ में ईरान में अन्य विश्वास व कर्मकाण्ड का बोलबाल था। बाद में महात्मा जरथुस्थ ने ईरान में धार्मिक क्रान्ति उत्पन्न की और पारसी धर्म का प्रचार किया।
6. शिक्षा तथा साहित्य (Education and literature)- ईरान में शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था। बच्चों को मन्दिरों में शिक्षा दी जाती थी। समाज में गुरुजों का बड़ा आदर होता था। इस समय छात्र जीवन में परिश्रम, अनुशासन तथा पवित्रता पर विशेष बल दिया जाता था ।
ईरानी भाषा जेन्द व पहलवी दो शाखाओं में बटी हुई थी। ईरान का विख्यात ग्रन्थ ‘अवेस्ता’ है।
7. कला और विज्ञान (Art and Sciences)- स्थापत्य कला के क्षेत्र में ईरान ने कोई विशेष उन्नति नहीं की और मेसोपोटामिया तथा मिश्र की शैलियों के आधार पर ऊँचे टीलों पर अनक भवनों का निर्माण कया। इनमें साइरस की समाधि पिरामिड की आकृति की बनी है।
ईरानी चित्रकला असीरियन चित्रकला से प्रभावित थी । ईरानी मुख्य रूप से सैनिक जीवन से सम्बन्धित ब बताया करते थे।
ईरानियों को संगीत तथा नृत्य से विशेष रूचि थी। नृत्य में विभिन्न सभ्यताओं का समन्वय था। मूर्तियाँ अधिकतर पशुओं की बनाई जाती थीं। सीरिया में ऊँट की एक कांसे को मूर्ति प्राप्त हुई है।
विज्ञान और चिकित्सा की ओर ईरानियों ने विशेष ध्यान नहीं दिया। वे मन्त्रों व जादू-टोने की सहायता रोगों को दूर करने में विश्वास रखते थे। लेकिन वे स्वास्थ्य के लिए सफाई व स्वच्छता के नियमों का कोरता के साथ पालन करते थे।
8. ईरानी सभ्यता की देन (Legacy of Persian Civilization) ईरानी सभ्यताको प्रमुख देते नलिखित हैं। –
(1) केन्द्रीय शासन व्यवस्था का प्रचलन ।
(2) अनेक सभ्यताओं का समन्वय ।
(3) संगठित शासन प्रणाली ।
(4) यातायात के अच्छे साधन ।
(5) सुरक्षा तथा डाक ब्यवस्था ।
(6) धार्मिक उत्सवों को धूम-धाम से मनाना ।
(7) पारसी धर्म का विकास।
(8) पोलो नामक खेल का आविष्कार।