रुस की क्रान्ति (Russian Revolution 1917 ई०)
आज रूस में साम्यवाद का बोलबाला है, परन्तु 1917 ई० से पहले वहाँ ऐसा न था। तब वहाँ रूस के शासकों, जिन्हें ‘जार’ (Czar) कहा जाता था, का निरंकुश शाशन स्थापित था, आज रूस में साम्यवाद का बोलबाला है, परन्तु 1917 ई० से पहले वहाँ ऐसा न था। तब वहाँ रूस के शासकों, जिन्हें ‘जार’ (Czar) कहा जाता था, का निरंकुश शाशन स्थापित था,
परन्तु 1917 ई० में वहाँ जार की दमन नीति के विरुद्ध ‘लेनिन’ (Lenin) के नेतृत्व में एक सफल विद्रोह हुआ। उनके बाद लेनिन (1917-1924 ई०), ‘स्टालिन’ (1924-1953 ई०) ‘ख्रुश्चेव’, बेझनेव आदि की अध्यक्षता में रूस संसार में प्रथम श्रेणी की शक्ति बन गया।
‘जार निकोलस द्वितीय’ के शासन काल में रूस में ‘कालमार्क्स’ के सिद्धांतों का रूस में काफी प्रचार हुआ । जार को निरंकुश व दान व निति से असंतुष्ट होकर लेनिन के नेतृत्व में रुसी जनता ने मार्च, 1917 ई० में एक खुनी क्रान्ति कर दी।
क्रान्ति के परिणाम (Result of the Revolution)
रुस की क्रान्ति का विश्व के इतिहास में विशेष महत्व है क्योंकि इस कान्ति ने राजनीतिक क्षेत्र में ही, बल्कि आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में से अनेक परिवर्तन कर दिये, जबकि इंग्लैण्ड, फ़्रांस तथा अन्य देशों की क्रांतियों ने केवल राजनीतिक क्षेत्र में ही परिवर्तन किये थे। रुस को क्रान्ति ने धनी व पूँजीपति वर्ग का सफाया कर दिया। देश का शासन निम्न वर्ग के हाथ में आ गया और रूस में सर्वहारा वर्ग की तानासाही स्थापित हो गई।
संक्षेप में रूस की क्रान्ति के निम्नलिखित परिणाम हुए –
(I) रूस में ‘जार’ के निरंकुश शासन का अन्त हो गया ।
(II) रूस में धनी बन और पूजीपतियों का सफाया कर दिया गया ।
(III) रूसी साम्राज्यवाद का अन्त हो गया। जो देश रूस के उपनिवेश थे, उन्हें स्वतन्त्र कर दिया गया।
(IV) इस क्रान्ति से रूस में किसानों और श्रमिकों का शोषण बन्द हो गया तथा देश की सम्पूर्ण सम्पत्ति और उद्योगों पर सरकार का अधिकार हो गया।
(V) रूस में शासन की एक नयी प्रणाली का जन्म हुआ, जिसमें धन के बल पर बहुमत प्राप्त करने वालों को सरकारें न बनकर किसानों और श्रमिकों की सरकारें बनीं।
(VI) हर काम करने वाले व्यक्ति को रोटी, कपड़ा और मकान देने की जिम्मेदारी सरकार की हो गई।
(VII) संसार के विभिन्न देशों में श्रमिकों के कल्याण को महत्व दिया जाने लगा।
(VIII) देश के सभी साधनों का प्रयोग व्यक्तिगत लाभों के लिए न होकर सार्वजनिक हित के लिये किया जाने लगा ।
(IX) संयुक्त राष्ट्र संघ में ‘अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ’ बनाया गया, जिसने संसार में श्रमिकोंकी दशा सुधारने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये।
(X) रूस अब एक पिछड़ा देश न होकर संसार का एक शक्तिशाली राज्य बन गया।