यूनान की सभ्यता (THE CIVILIZATION OF GREECE)

यूनान की सभ्यता (THE CIVILIZATION OF GREECE)

प्राक्क्थन —यूनानी सभ्यता का विकास कब और कैसे हुआ? इसकी सही जानकारी हमें नहीं है। विद्वानों का अनुमान है कि यूनान में कीट तथा मारकोन द्वीपों, ट्राय, में सभ्यता का विकास काफी पहले हो चुका था । यह ‘सभ्यता एजियन को सभ्यता’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस सभ्यता का प्रारम्भ लगभग 4000 ईसा पूर्व हुआ परन्तु हमें इसके 2500 ईसा पूर्व से पहले के इतिहास की कोई जानकारी नहीं है । इस सभ्यता ने यूनानी सभ्यता को काफी प्रभावित किया ।

I. यूनानी सभ्यता के मूल निवासी (Citizens of Greece Civilization) – यूनान बाल्कन प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित है। प्राचीन काल में इसे ‘हेलाज’ कहते थे। इस समय इसमें आज का यूनान, एशिया माइनर का समुद्री तट तथा भूमध्य सागर का द्वीप समूह शामिल थे। प्राकृतिक दृष्टि से यह प्रदेश समशीतोष्ण जलवायु वाला स्वास्थ्यवद्ध के देश था। यहाँ पर पहाड़ों, कटे-फटे समुद्र तटों तथा घाटियों की भरमार है।

ईसा पूर्व 1500 से 200 वर्षों तक उत्तर की अनेक जातियाँ यूनान में आ आकर बसने लगीं। इन जातियों में आयोनियन्स, स्पार्टन्ज, ऐकियन्ज, फोशियन्ज, हैलेन्ज आदि प्रमुख थीं। यह सभी उपजातियाँ विशाल आर्य जाति का ही अंग थी। यूनान की सभ्यता के प्रमुख के स्पार्टा, कोरिन्थ, ऐयेन्स, बीन्स तथा मिलेट्स आि नगर राज्य थे।

II. यूनानी सभ्यता का इतिहास History of Greece Civilization) – प्राकृतिक कठिनाइयों के कारण यूनान कभी-भी एक राजनीतिक इकाई न बन सका । पहाड़ों व घाटियों में घिरे हुए अलग-अलग नगर राज्यों ने अपनी सभ्यता का विकास किया । यूनान के प्रत्येक नगर राज्य की कुल जनसंख्या 40 हजार अधिक नहीं होती थी । केवल ऐथन्स ही ऐसा मगर राज्य था, जिसकी जनसंख्या 2.5 लाख के लगभग थी। इस समय ऐथेन्स, स्पार्टा, थीब्ज, कोरिथ तथा मेडोनिया आदि प्रमुख नगर राज्य थे।

यूनान के नगर राज्य आपस में ही लड़ा करते थे, परन्तु विदेशी आक्रमण होने पर वे प्रायः मिल जाया करते थे। इस एकता और संगठन के कारण यूनान वालों ने ईरानी शासकों (डेरियस प्रथम) तथा उसके पुत्र ‘जरक्सीज के आक्रमणों का सफलता पूर्वक सामना किया। 410 ईसा पूर्व के लगभग एक लाख सैनिकों के साथ ईरानी शासक दास प्रथम ने यूनान पर आक्रमण कर ह दिया। ‘मेराथन के युद्ध’ में यूनानियों की बड़ी वीरता का परिचय देते हुए ईरानियों को पराजित कर दिया । 480 ई० पू० में दारा के पुत्र जरक्सीज के आक्रमण का भी यूनानियों ने मुंह तोड़ जवाब दिया । ‘प्लेटिया (Platia) के युद्ध (476 ईसा पूर्व) में ईरानियों की भारी पराजय हुई। इन विजयों के कारण यूनान के एथेन्स व स्पार्टा राज्यों ने ‘डेलियन संघ’ बनाकर अपने को संगठित कर लिया ।

इसके बाद यूनान में कुछ समय तक तानाशाहों का शासन रहा । ‘पेरीक्लीज’ नामक सम्राट ने यूनानी सभ्यता को विकास के चरम शिखर पर पहुँचा दिया। नाज भी पेरीक्लीज युग को यूनान के इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है। कुछ समय तक स्पार्टा व एथेंस के बीच रुक-रुककर युद्ध चलता रहा। अन्त में 405 ईसा पूर्व में ऐयन्स की पराजय हुई। बाद में 371 ईसा पूर्व में एथेंस ने थीब्ज से मिलकर स्पार्टा से अपनी पराजय का बदला ले लिया । इस प्रकार आपसी संघर्षों ने यूनान के नगर राज्यों को काफी हानि पहुँचाई और उन्हें कभी भी संगठित हीं होने दिया । परिणामस्वरूप 147 ईसा पूर्व के लगभग रोमनों ने यूनान को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया ।

3. प्रजातन्त्र और नगर राज्य (Democracy and City States ) – आरम्भ में यूनान के विभिन्न नगर राज्यों में राजतन्त्र स्थापित था, परन्तु कुछ समय के बाद राज्य की सत्ता सामन्तों के हाथ में आ गई। इन सामन्तों का शासन अन्याय और दमन पर आधारित था। इसलिए साधारण जनता ने सामन्तों के अत्याचारों से तंग आकर राजसत्ता अपने हाथ में लेली और इस प्रकार यूनान में प्रजातन्त्र शासन का उदय हुआ । विदेशी और दासों को छोड़कर सभी नगरवासियों को नागरिकता के अधिकार प्राप्त थे। प्रत्येक नागरिक विधान सभा मे बँठ सकता था और उसके कार्य में भाग ले सकता था। यही विधान सभा कार्यपालिक के सदस्यों को चुना करती थी और कानून बनाने तथा विदेशी सम्बन्धों की जाँच करने आदि के कार्य करती थी । प्रत्येक नागरिक को अपनी योग्यता के बल पर राज्य में ऊचे से ऊँचा पद पाने का अधिकार था। एक बार क्लीओन (Cleon) नामक एक मोची भी देश की विधान सभा का अध्यक्ष बन गया था।

यूनान की शासन व्यवस्था में कानून का विशेष स्थान था । प्रत्येक नागरिक कानून का बढ़ा आदर करता था । यूनान के कानून विशेषज्ञों ने विभिन्न प्रकार के कानूनों को एकत्र करके अनेक कोड बना दिये थे । इन कोडों (कानूनी पुस्तकों) में इको (Draco), सोलन (Solon) और क्लोस्थनीज ( Cleisthenes) बड़े महत्वपूर्ण थे।

4. सामाजिक जीवन (Social Life ) — प्रदान का समाज तीन वर्गो-भूमिपति या सामन्त वर्ग, मध्यम वर्ग और दास वर्ग, में बँटा हुआ था। नागरिकता का अधिकार केवल पहले दो वर्गों को प्राप्त था। दामों की दशा बड़ी शोचनीय थी । उन्हें कोई भी सामाजिक और राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे। वे न तो मत (वोट दे सकते थे और न ही विधान सभा की बैठकों में भाग ले सकते थे। विदेशियों को भी कोई अधिकार प्राप्त नहीं थे स्त्रियां घर की रानियाँ समझी जाती थी, परन्तु उन्हें अपने घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। यूनान विशेषकर स्पार्टा के लोग व्यायाम को विशेष महत्व देते थे। कमजोर बच्चों को जन्म के समय ही मार दिया जाता था। जात वर्ष की आयु होने पर बच्चों को फौजी बैरकों में सैनिक शिक्षा के लिए भेज दिया जाता था। यूनानी लोगों को प्रीतिभोज, नाच रंग और खेलों का बड़ा शोक था।

5. समुद्री यात्रायें व उपनिवेशीकरण (Sea Voyages and Colonizations ) — यूनान देश तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। अतः यूनानी लोग समुद्री यात्राओं के बड़े शौकीन थे। वे व्यापार व्या मनोरंजन आदि के लिए निरतर समुद्री यात्रा करते रहते थे।

1200 से 1000 ईसा पूर्व के लगभग यूनानियों ने आस-पास के देशों में अपने अनेक उपनिवेश बसा लिये ये उनके उपनिवेश इटली, दक्षिणी फांस, उत्तरी अफ्रीका और काले सागर के तटीय भागों में स्थापित थे । परन्तु साम्राज्य निर्माण में जो कार्य यूनान के महान सम्राट सिकन्दर ने किया,

वह अन्य कोई न कर सका । 323 ई० पू० तक, जब सिकन्दर की मृत्यु हुई, उसका साम्राज्य मिश्र, एशिया माइनर, फारस, अफगानिस्तान और सिन्धु नदी तक फैल चुका था।

VI. धार्मिक जीवन (Religious Life) – यूनानी लोग अनेक देवी देवताओं की पूजा करते थे। जीवस (Jeds), हेरा (Hera), एपोलो (Apollo ) और एमीना (Athena) उनके प्रमुख देवी-देवता थे। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भोजन तथा पशुओं की बलि दी जाती थी। यूनान के लोगों ने अनेक मन्दिर भी बना रखे थे, जिनमें ऐवन्स स्थित ‘पार्थोनन’ (Parthenon) का मन्दिर सबसे अधिक प्रसिद्ध था। ‘डेली’ (Delphi) के स्थान पर एपोलो देवता का एक अन्य सुन्दर मन्दिर था। यहाँ जो भविष्यवाणी होती थी, उस पर सब यूनानी पूरा विश्वास करते थे। इन देवी-देवताओं की अनेक मूर्तियां भी बनायी गई थीं, जिनमें ऐमन्स स्थित ‘देवी ऐमीना की मूर्ति विशेष रूप से प्रसिद्ध भी । मन्दिरों की देखभाल व पूजा आदि कार्य पुजारी लोग करते थे।

VII. कला और भवन निर्माण (Art and Architecture) – भवन निर्माण कला के क्षेत्र में यूनानियों ने विशेष उन्नति कर रखी थी। उन्होंने बड़े विशाल, भव्य और सुन्दर मन्दिरों का निर्माण किया, जिनमें ‘पेरी- क्लीज’ द्वारा बनवाया गया ऐयन्स स्थित एबीना का मन्दिर दर्शनीय है। देवी एथीना व जीयस की सुन्दर मूर्तियों यूनियों की मूर्तिकलाका उत्कृष्ट उदाहरण है। यूनान में संगीत कला की भी काफी उन्नति हुई थी। ऐशन्स के ‘ कवि पिडर’ (Pinder) का नाम बहुत प्रसिद्ध था। ‘कवि होमर’ एक महान गायक भी था।

VIII. ओलम्पिक खेल (Olympic Games ) – आजकल संसार में जो अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक खेल हर चौथे वर्ष के बाद होते हैं, उनका जन्म यूनान में ही हुका था। 776 ईसा पूर्व के लगभग यूनान के ‘ओलम्पिया’ नामक स्थान पर इन खेलों की शुरुआत हुई थी। इन खेलों में संसार के चुने हुये खिलाड़ी भाग लेते थे ।

IX. शिक्षा, साहित्य, दर्शन और विज्ञान (Education, Literature, Philosophy and Sciences)- प्रारम्भ में यूनान में लेखन कला का अभाव था। बाद में फिनीशिया से यूनानियों ने लेखन कला का ज्ञान प्राप्त किया । १७०० ईसा पूर्व तक यूनान में लेखन कला का काफी विकास हो गया। इस समय से यूनान में शिक्षा का विकास शुरू हुआ। ऐवन्स के स्वर्ण युग में शिक्षा का काफी विकास हुआ। शिक्षा देने वाले ‘सोफिस्ट (Sophists) कहलाये। सॉफिस्ट लोगों को लिखने-पढ़ने, नाटक, कविता विज्ञान, गणित आदि विषयों की शिक्षा देते थे । इस समय शिक्षा वैज्ञानिक व मनोवैज्ञानिक तरीके से दी जाती थी। शिक्षा का उद्देश्य बालक का सर्वागीण विकास करना था ।

साहित्य और दर्शन के क्षेत्र में यूनान ने अत्यधिक उन्नति की। ‘होमर (Homer) जैसा महान कवि, जिसने ‘इलियट’ (Iliod) और ‘ओडसी’ (Odyssey) के समान महाकाव्यों की रचना की, यूनान ने ही पैदा किया। यूनान में सुकरात, प्लेटो और अरस्तु जैसे महान दार्शनिक हुए, जिन्हें संसार कभी नहीं भूल सकता। ‘ऐस्क्लीज’ (Aeschyles) ‘सोफेक्लीज (Sophocles), ‘यूरोपिडोज’ (Euripedes) ‘एरिस्टो फोन’ (Aristophanes) आदि विद्वानों ने दुसान्त और सुखान्त नाटकों की रचना की। यूनान ने ही हेरोडोटस’ (Herododus) ‘ब्यूरोडाइडोज (Thucydides) जैसे महान इतिहासकार पैदा किये। संसार के प्रथम संविधान का निर्माता ‘सोलन’ (Solon) यूनान की ही देन था।

यूनान में ज्योतिष, गणित, विज्ञान आदि की भी विशेष उन्नति हुई। गणित और विज्ञान के महान विद्वान ‘आर्कोमिडॉज’ यूनान में ही पैदा हुये थे जिन्होंने आपेक्षिक घनत्व निकालने के सिद्धान्त की खोज की। यूनानी वैज्ञानिक ‘हैरन’ (Heron) ने पहला भाप का इंजन बनाया। ‘एरिस्टार्कस’ (Aristarchus) ने सबसे पहले यह सिद्ध किया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूपती है। ‘बेल्ज (Theles) ने सूर्य ग्रहण कब लगेगा’ के सिद्धान्त की खोज की । रेखागणित के जन्मदाता ‘यूक्लिड’ (Euclid) और ‘पाइथागोरस’ का नाम संसार में कौन नहीं जानता, जिनके सिद्धान्तों को हम आज भी पढ़ते है। इतना ही नहीं चिकित्सा शास्त्र का जन्मदाता हिप्पोक्रेटीज (Hippocrates) भी यूनान का नागरिक था ।

X. यूनान के महान व्यक्ति (Greatmen of Greece) –

(i) सुकरात (466-316 ईसा पूर्व)- सुकरात यूनान का एक महान दार्शनिक था। उसका जन्म ४६६ ईसा पू० में एक साधारण परिवार में हुआ था। उसने कुछ नमय तक सैनिक के रूप में कार्य किया। बाद में वह अपनी मोग्यता के बल पर ऐथेन्स की सीनेट का सदस्य बन गया। उसे उच्च चरित्र और सभ्यता पर गहरा विश्वास था। वह उसी बात को सही मानता था, जो तक की कसौटी पर सही उतरती हो। वह बाजारों, गलियों और चौराहों पर प्रश्नोत्तर प्रणाली द्वारा लोगों को शिक्षा दिया करता था। कुछ समय के अन्दर ही सुकरात का सारे ऐथेन्स में प्रभाव स्थापित हो गया। इससे ऐवेन्स के तत्कालीन शासक सुकरात से नाराज हो गये और सुकरात पर लोगों को बहकाने व पष्ट करने का मुकदना ‘बसाया। अन्त में सुकरात ने अपनी इच्छा से विष का प्याला सीकर जान दे दो । वास्तव में सुकरात सभी यूनानियों में सबसे योग्य व्यक्ति था । आज भी उसे आधुनिक तर्क शास्त्र का पिता’ माना जाता है।

(ii) प्लेटो (427 ईसा पूर्व 340 ईसा पूर्व)- प्लेटो सुकरात का शिष्य और यूनान का महान दार्शनिक था। उसे ‘दर्शनमास्त्र का जन्मदाता और राजनीति का कवि’ कहा जाता है। उसके लिखे दो ग्रन्थ दि रिपब्लिक (The Republic) और दि लाज (The Laws) आज भी बड़े आदर के साथ पढ़े जाते हैं।

(iii) अरस्तू (384-322 ईसा पूर्व)- अरस्तू यूनान का एक अन्य महान दार्शनिक था। यह प्लेटो का शिष्य और विन्दर महान का गुरु था। उनने दर्शन, राजनीति, तर्कशास्त्र, व्याकरण, विज्ञान तथा चिकित्सा आदि अनेक विषयों पर अनेक ग्रन्थों की रचना की। उसका ‘पालिटिकल (Politics) ग्रन्थ आज भी सारे संसार में प्रसिद्ध है। अरस्तू को ‘राजनीति का पिता’ और ‘संसार का प्राचीनतम व महान दार्शनिक’ माना जाता है।

(iv) होमर- होमर यूनान का महान कवि था, जिसने ‘इलियट’ और ‘ओडस’ नामक महाकाय का रचना की थी। इलियड में ट्राय नगर के राजकुमार पेरिस और स्पाटों की रानी हेलन की कहानी है। ओ मैं यूनान के एक महान शासन ओडीनियम (Odysseus) जिसे पुलिसिस (Veysses) भी कहा जाता है, के वीरतापूर्ण कार्यों का उल्लेख है।

(v) सोलन- यह यूनान का महान कानून और नर का प्रथम संविधान निर्माता था। इसके क’ नामक कानून की पुस्तक तैयार की और अन्य कानून सम्बन्धी पुस्तके लिखी थी।

(vi) सिकन्दर महान- सिकन्दर महान केवल यूनान का वरन् सारे संसार का महान विजेता था, मेसीडोनिया के शासक ‘फिलिप’ का पुत्र और महान दार्शनिक अरस्तू का शिष्य था। उसने 11-12 वर्ष के अन्दर ही यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका तक अपने विस्तार कर लिया। उनके साम्राज्य में शिया माइनर सीरिया, पेलेस्टाइन, मिश्र, मेसोपोटामिया, ईरान, अस्यानिस्तान, सिंधु घाटी और यूनान शामिल थे। आज भी सिकन्दर महान एक महान सेना नायक और महान विजेता के रूप में याद किया जाता है।

(vii) पेरोक्लीज (460-428 ई० पू० ) – पेरीक्लीज यूनान का एक महान शासक था । उसका जन्म एथेन्स के उच्च परिवार में हुआ था। वह बड़ा वीर सैनिक, योग्य राजनीतिज्ञ, उच्च कोटि का दार्शनिक व प्रजा हित कारी शासक था। उसके समय में यूनान की अभूतपूर्व उन्नति हुई। साहित्य, कला, दर्शन, विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में यूनान ने अनेक महत्व पूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की। इसीलिए पेरीक्लीज के शासन काल को प्राचीन यूनान के इतिहास का स्वर्ण युग माना जाता है और इसकी तुलना गुप्तकाल (भारताय इतिहास) के स्वर्ण युग के साथ की जाती है।

(XI) यूनानी सभ्यता की देन (Legacy of Greece Civilization) – प्राचीन यूनानी सभ्यता एक महान और उच्च कोटि की सभ्यता थी । आधुनिक सभ्यता का आधार वास्तव में प्राचीन यूनानी सभ्यता को ही माना जाता है । राजनीति, दर्शन, कला व साहित्य अर्थात वर्तमान

सभ्यता के प्रत्येक क्षेत्र में यूनानी सभ्यता का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। संक्षेप में यूनानी सभ्यता की विश्व सभ्यता को निम्नलिखित हैं- प्रमुख देनें

(१) प्रजातन्त्र – वर्तमान विश्व में प्रजातन्त्र का बोलबाला है। इस प्रजातन्त्र के निर्माता प्राचीन यूनानी ही थे। उनके विभिन्न नगर राज्यों में लोग एक स्थान पर एकत्र होकर अपने प्रतिनिधि चुनते थे और काननू आदि बनाते थे। इसलिए यूनान को प्रजातन्त्र का जन्मदाता माना जा सकता है।

(२) उत्तरदायी शासन- उत्तरदायी शासन को जन्म देने का भी प्राचीन यूनान को प्राप्त है। वहाँ सरकार या कार्यपालिका, विधान मण्डल के प्रति उत्तरदायी होती थी। यदि कार्यपालिका में विज्ञान मण्डल के सदस्यों का विश्वास नहीं रहता था, तो आज की भांति उसे बदल भी दिया जाता था ।

(३) नागरिकता को भावना- प्राचीन यूनान के नगर राज्यों में नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का स्पष्ट रूप से उल्लेख कर दिया जाता था। आज का नागरिकशास्त्र प्राचीन यूनान को नागरिकती की भावना पर ही आधारित है। (

(४) कानून का शासन- प्राचीन यूनान में कानून का शासन स्थापित था। आज भी संसार के लगभग सभी देशों में कानून के सामने सभी को समान माना जाता है।

(५) विचार – स्वतन्त्रता--यूनान ने सुकरात, प्लेटो तथा अरस्तु जैसे महान दार्शनिकों को जन्म दिया, जिन्होंने मानव की विचार व भाषण आदि की स्वतन्त्रता पर विशेष बल दिया।

(६) देशभक्ति- यूनानियों ने सारे संसार के नागरिकों को देशभक्ति का सन्देश दिया और अपनी स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देने की प्रेरणा दी।

(७) ओलम्पिक खेल- आधुनिक विश्व के महत्वपूर्ण अंग के रूप में आज के ओलम्पिक खेल प्राचीन यूनानियों की ही देन है।

(८) कला और साहित्य – कला और साहित्य के क्षेत्र में यूनानियों की देन महान है । भवन निर्माण कला, मूर्तिकला, चित्रकला आदि सभी में यूनान ने संसार को बहुत कुछ दिया है। यूनान ने ही संसार को आकमिडीज, हेरन, एरिस्टार्स, बेल्ज यूक्लिड तथा हिप्पोक्रेटीज जैसे वैज्ञानिक व साहित्यकार, होमर जैसा महान कवि, सुकरात, प्लेटो और अरस्तु जैसे महान दार्शनिक प्रदान किये। हेरोडोटस और थ्यूसीडाइडीज जैसे यूनानी इतिहासकार आज भी संसार के पहले इतिहासकार माने जाते हैं।

इस प्रकार स्पष्ट है कि वर्तमान विश्व पर यूनान की सभ्यता की छाप स्पष्ट दिखाई देती है। पं० नेहरु ने लिखा था कि, “आधुनिक यूरोप बहुत कुछ अंशों में प्राचीन यूनान का ही बच्चा है।”

१. भारत और यूनान का सम्बन्ध (Relationship between India and Greece)-

सिकन्दर महान के आक्रमण (327 ई० पू०) से भारत और यूनान एक-दूसरे के निकट आये। इसके बाद भारत की सीमा पर यूनानियों ने अपने राज्य स्थापित किये। दोनों देशों के विद्वानों ने एक-दूसरे को अपने विचारों से प्रभावित किया ।

यूनानी शासक ‘मिनाण्डर ने वौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया । भारत के ज्योतिष शास्त्र और मूर्ति कला ने यूनानियों को प्रभावित किया। भारत की गांधार कला यूनानी शैली पर आधारित थी । यूनानी भाषा तथा संस्कृत भाषा दोनों ही एक विशाल परिवार की भाषायें थी। प्राचीन यनान व भारत में घनिष्ठ व्यापारिक सम्पर्क भी रहे थे ।

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