भारतीय संस्कृति को विशेषतायें (The Salient Features of Indian Culture)
भारतीय संस्कृति विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा अधिक प्राचीन है। यह संस्कृति अनेक संस्कृतियों का मिश्रण है। वास्तव में भारतीय संस्कृति सागर के समान है, जिसमें अनेकों छोटी और बड़ी नदियाँ आकर मिलती हैं। इस प्रकार भारतीय संस्कृति कई सभ्यताओं के योग से बनी है। भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं।
(I) अनेकता में एकता- भारतीय संस्कृति की पहली महत्वपूर्ण विशेषता “अनेकता में एकता” है। भारत एक विशाल देश है । यहाँ पर अनेक जातियों-हिन्दू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई, लोग रहते हैं। उनका खान-पान, रहन-सहन और भाषा व साहित्य भिन्न भिन्न हैं। लेकिन इस अनेकता में भारतीय संस्कृति एकता की स्थापना करती है।
(II) स्थिरता या आत्मसात- प्राचीन काल से लेकर आज तक भारतीय इतिहास में अनेक परिवर्तन हुये हैं, फिर भी भारतीय संस्कृति अपने को परिस्थितियों के अनुकूल ढाल कर निरन्तर विकसित होती रही है। कुशान, शक, यूनानी, हुण आदि अनेक संस्कृतियाँ इसमें विलीन हो गई हैं। इस प्रकार भारतीय संस्कृति में आत्मसात करने का महत्वपूर्ण गुण है।
(II) समन्वय की प्रवृत्ति – भारतीय संस्कृति में समन्वय की प्रवृत्ति पयी जाती है। इतिहास साक्षी है कि भारतीय संस्कृत्ति विभिन्न संस्कृतियों जैसे फारसी, ईसाई तथा मुस्लिम के साथ समन्वय करने में सफल हुई है।
(IV) सहिष्णुता- भारतीय संस्कृति में सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता की भावना पायी जाती है। आज भी हमारा देश एक धर्म निरपेक्ष राज्य बना हुआ है।
(V) वर्णाश्रम धर्म- वर्णाश्रम धर्म भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। भारतीय ऋषि-मुनियों के द्वारा समाज को चार वर्ण-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र तथा मानव जीवन को चार आश्रमों -ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास में विभक्त किया गया है। इस प्रकार का विभाजन विश्व के किसी भी देश में नहीं मिलता है।
(VI) आध्यात्मिकता- भारतीय संस्कृति सदैव से धर्म प्रधान रही है, भारतीयों ने विचार और चिन्तन द्वारा आध्यात्मिक गुणों को ही हमेशा प्राथमिकता दी है। सच्चे मार्ग पर चलना, धार्मिक कर्मकाण्ड, ईश्वर की प्राप्ति आदि हमारे जीवन के प्रमुख लक्ष्य रहे हैं।
(VII) प्राचीनता – भारतीय संस्कृति की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता उसकी प्राचीनता है अर्थात् भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है।
(VIII) विश्व बन्धुत्व – भारतीय संस्कृति सत्यम्, शिवम् सुन्दरम् का आदर्श मानते हुए विश्व बन्धुत्व में विश्वास रखती है और इस भावना को बढ़ाने में प्रयत्नशील भी रही है।