संदर्भ
वर्ष 1999 में स्पैनिश अर्थशास्त्री लूर्डेस बेनेरिया (Lourdes Beneria) द्वारा ‘कार्य’ को बाज़ार से जुड़ी एक भुगतान वाली आर्थिक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया गया था। वैतनिक और अवैतनिक दोनों प्रकार के कार्य हमारे आर्थिक जीवन के घटक हैं।
मुख्य बिंदु
अवैतनिक कार्य न केवल घर के सदस्यों को बल्कि बाहरी समुदाय या समाज को भी लाभ प्रदान करते हैं। ये विश्वास, सद्भावना और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाले ‘सामाजिक ताने-बाने, समुदाय की भावना, नागरिक ज़िम्मेदारी और मानदंडों को मज़बूत करते हैं।
महिलाओं के अवैतनिक श्रम का सबसे बड़ा स्रोत घरेलू कार्य है। जिसमें किराने की खरीदारी, खाना बनाना, सफाई के साथ-साथ बच्चों, बुजुर्गों और कमजोरों की देखभाल आदि शामिल हैं।
इसके अभाव में जीवित रहना व्यक्तियों और समाज दोनों के लिये एक चुनौती होगी क्योंकि प्रत्येक अर्थव्यवस्था अवैतनिक श्रम और देखभाल सेवाओं पर निर्भर है।
टाइम पॉवर्टी (Time Poverty)
अवैतनिक श्रम की लागत न केवल गैर-मान्यता प्राप्त मौद्रिक मूल्य के संदर्भ में बल्कि टाइम पावर्टी के मामले में भी है। अवैतनिक घरेलू/ देखभाल कार्य से परे हितों को आगे बढ़ाने के लिये टाइम पॉवर्टी को ‘नोट हैविंग एनफ टाइम’ (Not Having Enough Time) के रूप में परिभाषित किया गया है।
अवैतनिक श्रम को ‘वास्तविक कार्य’ नहीं माना जाता है और प्रायः पुरुषों तथा समाज द्वारा इसका अवमूल्यन किया जाता है क्योंकि इससे समाज या पुरुषों को प्रत्यक्ष तौर पर लाभ प्राप्त होता है।
यह स्थिति महिलाओं में भावनात्मक तनाव पैदा करती है और टाइम पॉवर्टी के साथ मिलकर, प्रायः लागत को लाभ से अधिक कर देती है। इसके अलावा महिलाओं को घर से बाहर की गतिविधियों में भाग लेने के लिये पर्याप्त समय या प्रेरणा नहीं मिलती है।
टाइम पॉवर्टी, श्रम बाज़ार और/या सार्वजनिक या राजनीतिक जीवन में योगदान करने या भाग लेने की महिलाओं की क्षमता पर सीधा प्रभाव डालती है।
संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्र और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 66 देशों में से 58 देशों में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में महिला श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट आई है।
सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिशीलता पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है।
इसके अलावा वैश्विक स्तर पर महिलाओं की अपर्याप्त राजनीतिक भागीदारी के लिये भी टाइम पॉवर्टी उत्तरदायी है।
राजनीति में महिलाएँ लिंग समावेशन और नागरिक सेवाओं के प्रति उच्च प्रतिक्रिया के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में ठोस लाभ प्राप्त करती हैं। इस प्रकार नीति-निर्माण पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
महिलाओं के सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिये टाइम बैंकिंग एक सामाजिक नवाचार के रूप में उभरकर आया है।
क्या है टाइम बैंकिंग?
परंपरागत रूप से यह आशा की जाती है कि घरेलू कार्य महिलाओं द्वारा ही किये जाएंगे। महिलाओं का सशक्तीकरण टाइम पावर्टी तक सीमित है।
टाइम बैंकिंग को परित्याग किये गए समय के संदर्भ में एक अवैतनिक गतिविधि की अवसर लागत (Opportunity Cost) के रूप में देखा जा सकता है। इसमें एक घंटा एकमुश्त क्रेडिट के बराबर होता है, भले ही निष्पादित सेवा या प्रत्येक व्यक्ति का कौशल या लैंगिक स्तर कुछ भी हो।
टाइम बैंक महिलाओं के बीच सहकारिता के आधार पर समय साझा करने। की व्यवस्था पर केंद्रित है, जिसमें लोग एक-दूसरे की दिन-प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं और अपने समुदाय में चुनौतियों का समाधान करते हैं।
सेवा के आदान-प्रदान के प्रत्येक घंटे के लिये सेवा प्रदाता को एक बार क्रेडिट प्राप्त होता है और लाभार्थी द्वारा टाइम क्रेडिट का भुगतान किया जाता है।
प्रभाव
टाइम बैंकिंग के प्रस्तावक, अमेरिकी कानूनी सुधारक एडगर कान के अनुसार अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के साथ-साथ रूस और चीन में 30 से अधिक देशों में टाइम बैंक काम कर रहे थे।
कुछ केस स्टडीज़ से पता चला है कि टाइम बैंकों ने समुदाय निर्माण उपकरण, अर्थव्यवस्था चालक या बुजुगों की देखभाल के रूप में सबसे अधिक कार्य किया है। इसके अलावा महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को प्राथमिकता देने के लिये भी इनका उपयोग किया जा सकता है।
- टाइम बैंकों पर सबसे प्रासंगिक केस स्टडी सेनेगल का है, जहाँ टाइम बैंकिंग को एक औपचारिक प्रणाली बना दिया गया था और महिलाओं के लिये एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र में एकीकृत किया गया था।
- इसने महिलाओं को केंद्र में काम करके या सदस्यों के बच्चों की देखभाल करके टाइम क्रेडिट अर्जित करने और कक्षाओं तथा कार्यशालाओं हेतु उनका आदान-प्रदान करने की अनुमति दी।
टाइम बैंकिंग को केंद्र में शामिल किये जाने के बाद पाँच वर्षों में लगभग 52,000 महिलाओं ने व्यावसायिक कौशल और उद्यमिता प्रशिक्षण प्राप्त किया।
लगभग 50,000 व्यक्तियों ने स्वास्थ्य, पोषण, साक्षरता और अन्य क्षेत्रों पर शैक्षिक कार्यक्रमों को भी पूरा किया। सिलाई में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के 1,250 स्नातकों की मासिक आय औसतन $20 प्रतिमाह से बढ़कर $100 $200 प्रतिमाह हो गई।
टाइम बैंकिंग कार्यक्रम ने रोजगार पैदा करके व्यक्तियों और समुदायों के जीवन को प्रभावित किया।
निष्कर्ष
यदि एक औपचारिक व्यवस्था के रूप में टाइम बैंकिंग की स्थापना की जाती है तो सामुदायिक निर्माण, नागरिक समावेशन और बहती आर्थिक गतिविधियों की क्षमता में वृद्धि होगी।
इसके अलावा, इसमें अवैतनिक श्रम के आर्थिक मूल्य को औपचारिक रूप से मान्यता देकर और सभी समुदायों में इसका दोहन करके महिला सशक्तीकरण के लिये उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की क्षमता है।