What Is Sagarmala Project In Hindi (UPSC)

सागरमाला परियोजना (Sagarmala Project)

खबर?

हाल ही में सागरमाला कार्यक्रम के आठ वर्ष पूरे होने पर बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री ने कहा कि सागरमाला कार्यक्रम बंदरगाहों की दक्षता में सुधार के उद्देश्य पर प्रभावी साबित हुआ है।

मुख्य बिंदु

इस कार्यक्रम के तहत बेहतर गुणवत्तापूर्ण सेवा वितरण ने बंदरगाहों पर टर्नअराउंड टाइम (कंटेनरों) को वर्ष 2013-14 में 44.70 घंटे से घटाकर वर्तमान में 26.58 घंटे तक कर दिया है।

बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, सागरमाला के तहत 5.48 लाख करोड़ की 802 परियोजनाओं को प्रदर्शित किया गया है, जिन्हें वर्ष 2035 तक क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से 99,000 करोड़ की 194 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं।

सागरमाला कार्यक्रम

सागरमाला की अवधारणा को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 मार्च, 2015 को मंजूरी दी थी। इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, भारत की 7500 किलोमीटर समुद्र तटीय रेखा, संभावित नौगम्य जलमार्गों और समुद्री क्षेत्र के 14500 किलोमीटर के व्यापक विकास के लिये एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) तैयार की गई है जिसे प्रधानमंत्री द्वारा 14 अप्रैल,  2016 को समुद्री भारत शिखर सम्मेलन-2016 में जारी किया गया था।

यह पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है। इसे बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया है

सागरमाला एक महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय पहल है जिसका उद्देश्य भारत के समुद्र तट एवं जलमार्ग की पूरी क्षमता को अनलॉक करके भारत के रसद क्षेत्र के प्रदर्शन में बदलाव लाना है।

सागरमाला का विज़न अनुकूलित बुनियादी ढाँचे के निवेश के साथ घरेलू और आयात-निर्यात कार्गो दोनों के लिये रसद लागत को कम करना है।

‘पोर्ट लेड डेवलपमेंट’ (Port Led Development) की अवधारणा

‘पोर्ट लेड डेवलपमेंट’ की अवधारणा सागरमाला विज़न के केंद्र में है। पोर्ट-आधारित विकास रसद गहन उद्योगों पर केंद्रित है। (जहाँ परिवहन या तो लागत के उच्च अनुपात का प्रतिनिधित्व करता है या समय पर रसद एक महत्त्वपूर्ण सफलता कारक है।)

बंदरगाह आधारित विकास

बंदरगाह आधुनिकीकरण बन्दरगाह कनेक्टिवविटी बंदरगाह आधारीत औद्योगिकीकरण तटीय समुदाय का विकास
क्षमता वृद्धि नई सड़क / रेल औद्योगिक क्लस्टर कौशल विकास
 नए बंदरगाह कनेक्टिविटी तटीय रोजगार क्षेत्र तटीय पर्यटन परियोजनाएँ
दक्षता में सुधार सड़क / रेल संरचना में सुधार समुद्री क्लस्टर मत्स्यन बंदरगाहों व मछली प्रसंस्करण
तटीय पोत परिवहन स्मार्ट औद्योगिक केंद्रों का विकास
अंतर्देशीय (इनलैंड) बंदरगाह शहर
जलमार्ग परिवहन बंदरगाह आधारित
लॉजिस्टिक्स पार्क्स विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)
The Four Pilars Of Sagarmala

सागरमाला कार्यक्रम की उपलब्धियाँ

सेवा वितरण में गुणवत्ता आने से बंदरगाहों पर टर्नअराउंड टाइम (कंटेनरों के लिये) में कमी आई है। यह वर्ष 2013-14 में 44.70 घंटे से कम होकर 26.58 घंटे हो गया है।

भारतीय बंदरगाहों की वर्तमान कार्गो हैंडलिंग क्षमता वित्त वर्ष 2014- 15 के 1,052 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MMTPA) से बढ़कर 1500 MMTPA हो गई है।

स्मार्ट पोर्ट्स (लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक सर्विस, RFID समाधान आदि से युक्त) के निर्माण, सेवाओं के डिजिटलीकरण, बाधारहित डेटा प्रवाह आदि के माध्यम से बंदरगाहों की दक्षता और व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार हुआ है।

समुद्र तट के आस-पास औद्योगिक और निर्यात वृद्धि को गति देने के लिये बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

  • औद्योगीकरण के इस लक्ष्य को 14 तटीय आर्थिक क्षेत्रों (CEZs) के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है।

तटीय क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ावा: दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना को सागरमाला से जोड़कर 1900 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।

एक करोड़ से अधिक रोज़गार के अवसर सृजित किये जा रहे हैं।

क्या आप जानते है?

तटीय आर्थिक क्षेत्र (CEZ)

यह एक स्थानिक आर्थिक क्षेत्र है जो 300-500 किमी. समुद्र तट के साथ और समुद्र तट से लगभग 200-300 किमी. अंतर्देशीय विस्तार कर सकता है।

प्रत्येक तटीय आर्थिक क्षेत्र राज्य के भीतर तटीय जिलों का क्लस्टर होगा।

यह एक भौगोलिक सीमा प्रदान करेगा जिसके अंतर्गत बंदरगाहों और तटीय राज्यों के साथ एक समान नीति के माध्यम से बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण विकसित किया जा सकता है।

CEZ और तटीय आर्थिक इकाई (CEU) में क्या अंतर है?

CEZ स्थानिक आर्थिक क्षेत्र हो सकते हैं, जिनमें तटीय जिलों या ज़िलों का एक समूह शामिल होता है जो उस क्षेत्र के बंदरगाहों से मजबूत संबंध रखते हैं। CEZ को नियोजित औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं के साथ तालमेल स्थापित करने के लिये भी परिकल्पित किया गया है।

जबकि तटीय आर्थिक इकाइयाँ (CEUs) दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर’ (DMIC) नोड्स के समान सीमांकित सीमा के साथ विशिष्ट औद्योगिक संपदा परियोजनाएँ होती हैं। CEU में CEZ के भीतर प्रस्तावित औद्योगिक क्लस्टर / परियोजनाएँ होंगी।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक (Major Port Authorities Bill, 2020 )

इसमें देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता प्रदान करने और बोर्ड स्थापित कर उनके गवर्नेस का व्यावसायीकरण करने का प्रयास किया गया है।

इस विधेयक ने ‘प्रमुख पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम’ (Major Port Trusts Act), 1963 का स्थान लिया।

भारत के 12 प्रमुख बंदरगाहों में दीनदयाल (तत्कालीन कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मर्मुगाओ, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वी. ओ. चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) हैं।

प्रमुख पोर्ट प्राधिकरण बोर्ड

प्राधिकरण के विषय में: इस विधेयक में प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह के लिये एक प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड (Board of Major Port Authority) के निर्माण का प्रावधान है। इस बोर्ड ने मौजूदा पोर्ट ट्रस्ट का स्थान लिया।

संगठनः इसके अंतर्गत रेल मंत्रालय, रक्षा और सीमा शुल्क मंत्रालय, राजस्व विभाग के साथ-साथ जिन राज्यों में प्रमुख बंदरगाह हैं, उन राज्यों के प्रतिनिधियों को भी इस बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान है।

  • इसमें एक सरकारी नामांकित सदस्य और प्रमुख पोर्ट प्राधिकरण के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक सदस्य शामिल है।

शक्तियाँ: इसमें बोर्ड को प्रमुख बंदरगाहों के विकास के लिये संपत्ति एवं धन का उपयोग करने की अनुमति प्रदान की गई है।

  • बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित बंदरगाह से जुड़ी अन्य सेवाओं एवं परिसंपत्तियों के लिये शुल्क तय करने का अधिकार है।
  • पोर्ट प्राधिकरण द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) और बुनियादी ढाँचे के विकास के प्रावधान किये गए हैं।

न्यायिक बोर्ड: एक न्यायिक बोर्ड के गठन का प्रावधान है जो तत्कालीन प्रमुख बंदरगाहों हेतु टैरिफ प्राधिकरण (Tariff Authority for Major Port) के शेष कार्यों, बंदरगाहों और पीपीपी के बीच उत्पन्न विवादों आदि को देखेगा।

जुर्मानाः कोई भी व्यक्ति जो विधेयक के किसी प्रावधान या नियमों का उल्लंघन करता है, उसे एक लाख रुपए तक के जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।

लक्ष्य

निर्णय लेने की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करना और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में व्यावसायिकता को बढ़ावा देना।

बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे के विस्तार को बढ़ावा देना और व्यापार तथा वाणिज्य को सुविधाजनक बनाना।

सभी हितधारकों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से परियोजना निष्पादन क्षमता को बेहतर करते हुए तीव्र तथा पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया अपनाना।

विश्वस्तरीय सुविधाओं के अनुरूप केंद्रीय बंदरगाहों में शासन मॉडल को भू-स्वामी बंदरगाह मॉडल हेतु पुनः पेश करना ।

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