What Is The First Day Of Pongal Known As?

What Is The First Day Of Pongal Known As

Pongal (पोंगल)- भारत जिसे त्योहारों की भूमि कहा जाता है, यहाँ विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाये जाते हैं। इन त्योहारों में ऋतुओं अथवा मौसमों को काफी महत्व दिया गया है, क्योंकि ऋतुओं के आधार पर ही इन्हे मनाने की शुरुआत की गयी थी और इन्ही में से कुछ त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से सम्बंधित है जैसे मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) और पोंगल (Pongal)। आज की पोंगल के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करें

पोंगल “दक्षिण भारत” के तमिलनाडु राज्य में मनाया जाने वाला त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से तमिल हिन्दू मनाते हैं। इस त्योहार को केवल भारत ही नहीं बल्कि श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया जैसे देशों में भी मनाया जाता है। पोंगल त्यौहार के चार महत्वपूर्ण दिन होते हैं। पहला दिन है, भोगी पोंगल (Bhogi Pongal).

  1. भोगी पोंगल (Bhogi Pongal)
  2. सूर्या पोंगल (Surya Pongal)
  3. मटटू पोंगल (Mattu Pongal)
  4.  कानुम पोंगल (Kaanum Pongal)

पोंगल पर्व 

धर्म
हिन्दू
पोंगल का अर्थ उबलना, या उफनना
दिनों की संख्या 4 दिनों का पर्व
त्यौहार में पूजे जाने वाले देवता प्रथम दिन भगवान इन्द्र, द्वितीय दिन सूर्य देव, तृतीय दिन नंदी (भगवान् शिव की सवारी)
किस महीने का पर्व जनवरी

मुख्य बिंदु

  • पोंगल चार दिवसीय एक फसल उत्सव है, जो भारत के ज्यादातर राज्यों में मनाया जाता है तथा कुछ विभिन्न देशों में भी मनाया जाता है
  • यह भारत दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में सबसे अधिक मनाया जाता है।
  • पोंगल किसानों का त्योहार है
  • पोंगल (Pongal), हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। पोंगल (Pongal) जिसका हिन्दी अर्थ है उबालना।

पोंगल त्यौहार को चार दिन अलग-अलग देवताओं की पूजा की जाती है। इस लेख से पोंगल त्योहार को मानने की वजह और उनसे जुड़े हुए कुछ तथ्य भी जानेंगे।

1. भोगी पोंगल (Bhogi Pongal)

पोंगल का पहला दिन भोगी पोंगल होता है, इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर घरों को साफ़ करते हैं और स्नान करने के बाद अपने आंगनों में पोलम की रंगोली बनाकर घरों को सजाते हैं। इसके साथ ही लोग एकत्रित होकर अपने घरों के पुराने सामानों को अग्नि में समाहित कर देते हैं।

इस प्रथा को अपने जीवन का नया शुरुआत मानते हैं। यह दिन इंद्र देव, जो देवों के राजा हैं, उन्हें समर्पित है, इस दिन सभी लोग भगवान इंद्र की पूजा करते हैं। इस दिन से जुडी हुई एक कथा भी प्रचलित है। जिसे आप पढ़ सकते हैं।

कथा:

यह कहानी द्वापर युग की है, जब इन्द्र देव अहंकारी हो गए थे, अपने आप को सभी देवों में श्रेष्ठ समझते थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने सबक सिखाने की ठानी। उन्होंने सभी किसानों और चरवाहों से इन्द्र देव की नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा, और भगवान् श्री कृष्ण के कहने के अनुसार सभी ने वैसा ही किया, इसी कारण भगवान इन्द्र काफी क्रोधित हुए।

जिसके कारण इन्द्र देव अपने क्रोध को जताने के लिए, पृथ्वी पर भारी वर्षा और तूफ़ान लाया। इससे बचने के लिए भगवान् श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली से उठाया और सभी को गोवर्धन पर्वत की छाया में लेकर उन्हें बचा लिया।

इस तरह से भगवान् श्री कृष्ण ने इन्द्र देव के अहंकार को नष्ट कर दिया। जिससे इंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से माफी भी मांगी और उस दिन से भगवान श्री कृष्ण ने यह घोषित किया की पोंगल का पहला दिन भगवान् इंद्र को समर्पित होगा।

2. सूर्या पोंगल (Surya Pongal)

पोंगल का दुसरा दिन है, सूर्य पोंगल (Surya Pongal), यह दिन सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन पोंगल बनाया जाता है यह खीर का ही एक प्रकार है। जिसे हल्दी के पेड़ की टहनी या फूलों के हार से सजाये मिटटी के मटके में बनाया जाता है।

पोंगल का अर्थ?- पोंगल का अर्थ होता है उबालना, और नाम की तरह ही पोंगल बनाने के लिए मटके में दूध उबाला जाता है और उस दूध में चावल और गुड़ या शक्कर डालते हैं। इस दूध को तब तक उबाला जाता है जब तक दूध मटके से बाहर ना गिरने लगे। इस प्रसाद को, देवों को और पशुओं को दिया जाता है। इसके इसे सभी लोगों में बाँट दिया जाता है।

3. मटटू पोंगल (Mattu Pongal)

पोंगल का तीसरा दिन मटटू पोंगल (Mattu Pongal) होता है, जिसका नाम भगवान शिव के मट्टू यानि नन्दी से जुडा हुआ है। यह दिन गाय या बैल को समर्पित है। इस दिन इन पशुओ का इस सजाया जाता है, और उन्हें भोग चढ़ाया जाता है। इस दिन कई जगहों पर बैलों की लड़ाई भी कराई जाती है, इसे जल्ली कट्टु कहते हैं। साथ ही इस दिन खेती में उपयोग किये जाने वाले औजारों की भी पूजा की जाती है। इस दिन से भी जुड़ी भी एक कथा प्रचलित है।

कथा:

एक बार भगवान शिव ने अपने वाहन नन्दी से पृथ्वी जाकर यह सन्देश देने को कहा की सभी लोग रोज स्नान करें और महीने में एक बार खाना खाएं। परन्तु नन्दी ने पृथ्वी पर जाकर ठीक इसका उल्टा कहा जिस कारण भगवान शंकर क्रोधित हो गए क्योकि नन्दी के गलती के कारण पृथ्वी पर अनाज की कमी जाएगी।

नन्दी को भगवान् शंकर बात के लिए यह सजा दी की वह अब हमेशा के लिए पृथ्वी पर रह कर किसानों के कामों में मदद करेंगे और उनके इस मदद के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए उन्हें ये दिन समर्पित किया गया।

4. कानुम पोंगल (Kaanum Pongal)

कानुम पोंगल (Kaanum Pongal), यह पोंगल का आखरी दिन है। कानुम पोंगल का अर्थ होता है, भेंट देना। इस दिन परिवार सभी सदस्य, रिश्तेदार, दोस्त या पड़ोसी एक साथ आकर इसे मनाते हैं। इस दिन कई सामाजिक और पारम्परिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, और इस तरह चारों दिन त्योहार को बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस लेख के माध्यम से मैने आपको पोंगल त्यौहार के बारे में जानकारी दी है, इस त्यौहार को कहाँ मनाया जाता है, और क्यों मनाया जाता है, यह त्यौहार तमिल हिन्दुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है, पोंगल को हर नए साल पर मनाया जाता है।

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