यहूदी धर्म (Zionist Religion)

यहूदी धर्म (Zionist Religion)

यहूदी धर्म यहूदियों अथवा हिब्रू लोगों का धर्म है। यहूदो लोग ‘अब्राहम’ के नेतृत्व में मेसोपोटामिया में रहते थे। वहाँ से वे धीरे-धीरे फिलिस्तीन में जा बसे। जब फिलिस्तीन में भयंकर अकाल पड़ा तो 1700 ईसा पूर्व के बाद बहुत से यहूदी कवीले मिश्र चले गए। जब मिश्र के शासन ने उन पर बहुत अत्याचार किए तब वे पूर्व पूर्ण की 13 वीं शताब्दी में ‘हजरत मूसा’ के नेतृत्व में फिलिस्तीन चले गये।

मूसा से पहले यहूदियों के अनेक देवता थे। मूसा ने उन्हें एक ही देवता ‘यहवे’ या जेहोवा की पूजा करने की प्रेरणा दी। यहूदियों का विश्वास है कि स्वयं ईश्वर ने मूसा के माध्यम से दस उपदेश दिये थे। इन उपदेशों में एक ही ईश्वर में आस्था प्रकट की गई है। यहूदियों का मत है कि संसार को कष्टों और पापों से मुक्ति दिलाने वाले  मसीहा ने अभी जन्म नहीं लिया है। यहूदियों के अनेक धार्मिक ग्रन्थ हैं; जिनमें ओल्ड टेस्टामेन्ट और ‘ऐपो कुफा‘ प्रमुख है ।

शिक्षायें- रोमन सम्राट आगस्टस सीजर ने इस धर्म को विशेष प्रोत्साहन दिया। लेकिन बाद के रोमन सम्राटों ने इस धर्म के प्रति कठोरता का व्यवहार किया। आज इजराइल राज्य यहूदी धर्म पर आधारित है।

इस धर्म की प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार हैं,一

(1) पारसी धर्म के अनुसार यह धर्म मी संसार में सत्य-असत्य, प्रकाश-अन्धकार के निरन्तर संघर्ष को स्वीकार करता हैं। लेकिन यह मनुष्य को स्वभावतः एक बुरा प्राणी समझता है।

(2) यह धर्म बह्य मांन -मदिरा का त्याग, अहिसा उपवास का समर्थक है।

(3) यह धर्म मूति पूजा और पशु बलि का विरोधी है।

(4) यह धर्म प्राचीन परम्परागत विश्वासों में आस्था रखता है।

(5) यह धर्म मानव प्रेम, रामशीलता, पवित्रता तथा सदाचार पर भी बल देता है।

(6) इस धर्म की बुनियादी जिक्षा एक ईश्वर में बिश्वास है।

Leave a Comment